पैर छूकर माफी मांगी, फिर बुआ-दादी को मार डाला:मुरादाबाद में आरोपी का कबूलनामा- मेरे ही पैसे मुझे नहीं दे रही थीं
मेरे मम्मी-पापा ने लव मैरिज की थी। इससे दादी और बुआ चिढ़ती थीं। मम्मी-पापा की मौत के बाद उनके पैसे दादी के ही पास ही थे। बेरोजगार होने के कारण मेरा भी विवाह नहीं हो पा रहा था। मैंने जब ऑटो खरीदने के लिए पैसे मांगे तो दोनों झगड़ा करने लगीं। मैंने सोते समय पैर छूकर उनसे माफी मांगी। इसके बाद सुबह हथौड़ा मारकर दोनों की हत्या कर दी।
यह कबूलनामा मुरादाबाद में 28 साल के साहिल का है। साहिल ने अपनी 97 साल की दादी और 60 साल की बुआ की हथौड़े से सिर कूचकर हत्या कर दी। उसके पापा-मम्मी की मौत के बाद जिस दादी और बुआ ने उसे पाला, उनकी ही उसने हत्या कर दी। उसने ऐसा क्यों किया। ऐसे कई सवालों के जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम ने सरेंडर करते समय साहिल से बात की।
पढ़िए सिलसिलेवार पूरी कहानी –
डबल मर्डर के बाद साहिल के घर के बाहर लगी भीड़।
मेरे पापा ने लव मैरिज की थी, इसलिए दादी चिढ़ती थी हमारा घर ब्रजधाम कालोनी में पानी की टंकी के ठीक सामने है। मेरे पापा नरेश शर्मा ने मां वीनस शर्मा से लव मैरिज की थी। मां क्रिश्चन थी, इसलिए दादी सरोज शर्मा और बुआ वंदना शर्मा उन्हें पसंद नहीं करती थीं। मां विल्सोनिया स्कूल में टीचर थी। पापा रेलवे में कांट्रेक्टर थे।
11 साल पहले पापा की ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई। इसके 6 साल बाद मां की भी मौत हो गई। दादी-बुआ ने मुझे कभी पसंद ही नहीं किया। मम्मी-पापा की मौत के बाद और भी चिढ़ने लगीं।
ये है साहिल का फुफेरा भाई विशाल राव और जीजा जो उसको बरेली से लेकर थाने पहुंचे।
दादा रेलवे से रिटायर्ड थे, दादी की पेंशन से ही घर चलता था मेरे दादा ओमप्रकाश शर्मा रेलवे में ड्राइवर थे। उनकी 4 संतानें थीं। 3 मेरी बुआ और एक मेरे पापा। बड़ी बुआ सीमा शर्मा और सबसे छोटी बुआ संगीता की शादी गाजियाबाद में हुई है।
जबकि बीच वाली बुआ वंदना शर्मा ने शादी नहीं की। वो हमारे साथ रहती थीं। दादा जी और मम्मी-पापा की मौत के बाद घर का खर्च दादी को मिलने वाली पेंशन से ही चलता था।
साहिल बोला- मुझे पैरों पर खड़े होकर शादी करनी थी मैं 28 साल का हूं। शादी करके अपना घर बसाना चाहता था। लेकिन बेरोजगार से कौन शादी करता। इसलिए मैंने अपनी दादी से ऑटो खरीदने के लिए पैसे मांगे।
बुआ ने दादी से कहा कि इसे पैसे देने की जरूरत नहीं है, ये पैसे उड़ा देगा।
मेरी मां के रिटायरमेंट पर स्कूल से मिला सारा पैसा मेरी दादी के पास था। मेरे पापा की कमाई भी इस घर में लगी थी। मैं अपनी मां का ही पैसा मांग रहा था। ताकि कोई रोजगार करके शादी कर सकूं।
लेकिन उन दोनों का दिल नहीं पसीजा। दादी तो एक बार को मान भी रही थी, लेकिन बुआ बार-बार मेरे काम में टांग अड़ा देती थी।
हत्या की सूचना पर आसपास के लोग घटनास्थल पर पहुंच गए।
गाजियाबाद वाली बुआ ने कहा- घर भी बेच दो मेरी गाजियाबाद वाली बुआ सीमा शर्मा तो मेरी दादी को भड़का रही थी कि इस मकान को भी बेच दो। अगर ये घर भी बिक जाता तो मेरे पास तो कुछ नहीं बचता।
मैंने ये सब बातें सुन ली थीं। मुझे इस बात को लेकर बहुत गुस्सा था। मैंने दादी को बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन दादी और बुआ ने मेरी एक नहीं सुनी। घर बिक जाता तो मैं कहां जाता।
घर का पूरा काम करता, बुआ- दादी के लिए खाना बनाता
घर में हम तीन लोग ही रहते थे। घर में झाड़ू-पोछे से लेकर खाना बनाने तक का सारा काम मैं ही करता था। इतनी सेवा के बाद भी दादी और बुआ नहीं चाहती थी कि मैं अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊं। मुझे थोड़े पैसे दे देती तो उनका क्या बिगड़ा जाता।
साहिल का सरेंडर कराने वाले उसके दोस्त वकील मयूर कश्यप।
बुआ के सिर में 7 बार हथौड़ा मारा, दादी एक में ही मर गई हमारे घर में तीन कमरे हैं, लेकिन हम सभी लोग एक ही कमरे में सोते थे। मैं सुबह 6 बजे जग जाता था। दादी और बुआ 7 बजे तक जगती थीं। शुक्रवार सुबह मैं उठा। कल रात हुई बहस के बाद से मेरा दिमाग खराब था।
जगते ही सुबह मैंने घर में रखा हथौड़ा उठाया। पहले बिस्तर पर सो रही बुआ के सिर पर एक हथौड़ा मार। बुआ ने रहम की भीख मांगी, हाथ जोड़े और गिड़गिड़ाईं लेकिन लगातार 7 हथौड़ा मारा। इसके बाद उन्हें घसीटकर बरामदे तक ले आया। दादी तो सिर पर एक हथौड़ा पड़ते ही शांत हो गईं। उनकी उम्र 97 साल थी, वो तो अक्सर लेटी ही रहती थीं।
मैंने मर्डर से पहले दोनों के पैर छूकर माफी मांगी क्या तुम्हें अपने किए पर पछतावा है? इस सवाल पर साहिल ने कहा- मुझे अपने किए पर अफसोस तो उस वक्त भी था, जब मैं हत्या करने जा रहा था। मैंने हथौड़ा उठाकर हमला करने से पहले दादी और बुआ के पैर छूकर-हाथ जोड़कर क्षमा मांग ली थी। मैंने कहा था, मुझे क्षमा कर देना, लेकिन अपने भविष्य के लिए मुझे आप दोनों को मारना ही पड़ेगा।
पुलिस कस्टडी में साहिल शर्मा।
मर्डर करने के बाद बरेली भाग गया दादी-बुआ का मर्डर करने के बाद मैंने मुंह हाथ धोए, फिर घर का दरवाजा बंद करके 7 बजे घर से निकल गया। ऑटो से बस स्टैंड पर पहुंचा और फिर बरेली चला गया। मेरे पापा मुझे बरेली में अपने दोस्त अख्तर के घर ले जाते थे।
मुझे भरोसा था कि वो मेरी मदद करेंगे। इसलिए मैं बरेली में जाकर उनका घर ढूंढने लगा। मेरे पास उनका कोई फोन नंबर नहीं था। इसलिए मुझे उनका घर नहीं मिला।
फुफुरे भाई से कहा-मैंने दादी और बुआ को मार दिया इसके बाद मैंने अपनी गाजियाबाद वाली बुआ सीमा शर्मा के बेटे विशाल को फोन किया। उन्हें बताया कि भइया मैंने दादी और बुआ को मार दिया है। दोनों के शव घर में पड़े हैं।
इतना सुनते ही वह घबरा गए। बोले- तू जहां है वहीं रुक। इसके बाद विशाल भइया अपने जीजा सुबोध शर्मा को मेरे पास भेजा। सुबोध बरेली में ही बबनपुरी मोहल्ले में रहते हैं।
वो मुझे शाम 4 बजे लेकर मुरादाबाद आए। इसके बाद सिविल लाइंस थाने में आत्मसमर्पण कर दिया।

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