आतंकवाद मुसलमान का खुला दुश्मन है आतंकवाद से लड़ाई किसी धर्म की नहीं, बल्कि हर उस दिल की है जो इंसानियत में यक़ीन रखता है
कश्मीर की धरती एक बार फिर आतंक के ख़ूनी पंजों से कांप उठी। निर्दोषों का बहता ख़ून, मातम में डूबी गली-कूचियाँ, और डर की सिसकियों से गूंजते घर — यह सबकुछ एक बार फिर उस नापाक साज़िश का हिस्सा है, जिसे अंजाम दिया गया पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद द्वारा।
इसी कड़ी में “मानवता ईश्वर के लिए कल्याण संस्था परिषद” के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल हमीद का बयान अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा आतंकवाद मुसलमान का दुश्मन है, इस बात को हर मुसलमान को समझना चाहिए। यह लड़ाई किसी मज़हब की नहीं, बल्कि हर उस दिल की है जो इंसानियत में यक़ीन रखता है उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारतीय मुसलमानों की वफ़ादारी किसी सबूत की मोहताज नहीं है।अगर वतन के लिए जान देनी पड़ी, तो देश का मुसलमान सबसे आगे मिलेगा। भारत की आन-बान-शान के लिए भारतीय मुसलमान हर घड़ी कुर्बान होने को तैयार है। मगर अपने देश भारत की तरफ किसी की गंदी नज़र बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
यह बयान आज उन तमाम शक करने वालों के लिए करारा जवाब है, जो आज भी भारत के मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल उठाते हैं। अब्दुल हमीद ने कहा जो वफादार नहीं अपने वतन का, वह किसी मज़हब का नहीं हो सकता। कुरान भी हमें अमन और इंसानियत का पैग़ाम देती है, और देशभक्ति को इबादत का दर्जा देती है।”उन्होंने पाकिस्तान को सीधा संदेश देते हुए कहा:अगर हिंदुस्तान पर कोई हमला करेगा, तो मुसलमान अपनी जान की परवाह किए बिना तिरंगे की हिफ़ाज़त करेगा। हम मज़हब से पहले हिन्दुस्तानी हैं। हमारी नमाज़ भी वतन की सलामती की दुआ से शुरू होती है।”अब्दुल हमीद ने याद दिलाया कि भारत का मुसलमान उस परंपरा से आता है, जहाँ मौलाना आज़ाद की क़ुर्बानियाँ और अब्दुल हमीद (वीर चक्र) जैसे रणबांकुरों की मिसालें हैं, जिन्होंने 1965 में पाकिस्तान के टैंकों को धूल चटाई थी।भारत एकता का देश है। अब बात सिर्फ़ सरकार या सेना की नहीं, अब आम जनता की है—हर गली, हर मोहल्ला, हर मज़हब के लोग आतंकवाद के खिलाफ़ एकजुट हैं। कश्मीर में जो हुआ, वह देश की आत्मा को हिला देने वाला है। और अब सब कह रहे हैं: ‘अब और बर्दाश्त नहीं!’”उन्होंने कहा कि देश के हर नागरिक को चाहिए कि वह आतंकवाद के खिलाफ़ सिर्फ़ नारा न लगाए, बल्कि अपने स्तर पर एकजुटता और देशभक्ति को मज़बूत करे।
“जिसके दिल में वतन के लिए वफ़ा नहीं, उसकी इबादत भी बेकार है। आज ज़रूरत है साफ़ शब्दों में बोलने की—हम भारतीय हैं, और अगर वतन के लिए जान देनी पड़ी, तो वह भी देंगे।”अब्दुल हमीद ने सरकार से मांग की कि वह आतंकवाद को पालने वाले देशों और संगठनों के खिलाफ़ कठोरतम कार्यवाही करे, और ऐसे तत्वों पर सख़्ती से नकेल कसे जो भारत की एकता को चुनौती देना चाहते हैं।उन्होंने अंत में कहा:
“देश से मोहब्बत ही असली इबादत है। भारत की असली ताक़त उसकी एकता है, और जब यह दीवार मज़बूत हो जाती है, तो कोई भी दुश्मन उसमें सेंध नहीं लगा सकता।”यह बयान आज उस जागती हुई भावना की गूंज है, जो भारत के हर कोने से आतंकवाद के ख़िलाफ़ उठ रही है। अब नारा सिर्फ़ “भारत माता की जय” का नहीं, बल्कि “भारत की एकता की जय” का बन चुका है।

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