केजरीवाल-सिसोदिया के बाद आतिशी, गोपाल राय निशाने पर:14 कैग रिपोर्ट में पैसों की हेराफेरी, शराब घोटाले से बड़े एजुकेशन स्कैम का दावा
‘दिल्ली के एजुकेशन डिपार्टमेंट में घोटाला हुआ है। ये शराब घोटाले के बराबर होगा। सही आंकड़ा तो नहीं पता, लेकिन जब कैग की रिपोर्ट पेश होगी, तो बड़ी हेराफेरी सामने आएगी। मनीष सिसोदिया लिकर स्कैम में जेल गए थे, अब एजुकेशन स्कैम में जाएंगे।’
BJP के एक विधायक दैनिक भास्कर से बातचीत में इशारा कर देते हैं कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी की मुश्किलें खत्म नहीं हुई हैं। उनके मुताबिक, AAP सरकार के काम पर कैग की 2 से 3 रिपोर्ट ऐसी हैं जो जारी हुईं तो शराब घोटाले जैसे स्कैम सामने आएंगे। इसमें आतिशी और पूर्व मंत्री गोपाल राय फंस सकते हैं।
दिल्ली में 10 साल सरकार चलाने के बाद AAP अब विपक्ष में है। BJP सरकार AAP सरकार के वक्त से पेंडिंग कैग रिपोर्ट विधानसभा में पेश कर रही है। कुल 14 रिपोर्ट हैं, जिनमें से लिकर पॉलिसी और हेल्थ डिपार्टमेंट की रिपोर्ट पेश की जा चुकी हैं।
लिकर पॉलिसी में 2002 करोड़ रुपए का नुकसान सामने आया है। वहीं, दूसरी रिपोर्ट पब्लिक हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विस की है। इसमें कोरोना काल में फंड और उसके मैनेजमेंट को लेकर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने 300 करोड़ रुपए जरूरत होने पर भी खर्च नहीं किए।
बाकी बची 12 रिपोर्ट्स में क्या है, ये पेश हुईं तो AAP के कौन से नेता फंस सकते हैं, उन पर किस तरह के आरोप लग सकते हैं और क्या कार्रवाई हो सकती है, पढ़िए इस रिपोर्ट में…
सदन में पहले सिर्फ एक रिपोर्ट आनी थी, सरकार दो रिपोर्ट ले आई BJP में हमारे सोर्स बताते हैं, ‘हमने पहले विधानसभा सत्र में सिर्फ एक रिपोर्ट जारी करने का मन बनाया था। बाद में हेल्थ डिपार्टमेंट की रिपोर्ट भी जारी कर दी। इसका ये मतलब नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अब चैन की सांस ले सकते हैं। 12 रिपोर्ट अब भी लाइन में हैं। कुछ-कुछ समय पर ये जारी होती रहेंगी।’
पार्टी में हमारे दूसरे सोर्स बताते हैं, ’12 में से 2-3 रिपोर्ट में AAP सरकार पर गंभीर आरोप हैं। कई पूर्व मंत्री पहले से जांच के दायरे में हैं। वे नए मामलों में भी फंस सकते हैं। पार्टी के कुछ और पूर्व मंत्रियों पर गंभीर आरोप लग सकते हैं।’
1. एजुकेशन डिपार्टमेंट ‘ऑडिट में मिलेगा बड़ा घोटाला, AAP को सबसे बड़ा झटका लगेगा’ सोर्स के मुताबिक, शराब घोटाले के बाद अगर AAP सरकार का दूसरा बड़ा घोटाला सामने आएगा, तो वो एजुकेशन डिपार्टमेंट का होगा। नई सरकार ने जिन 14 रिपोर्ट्स का जिक्र किया था, उसमें शिक्षा विभाग की ऑडिट रिपोर्ट, स्कूलों के बुनियादी ढांचे, टीचर्स की भर्ती और एजुकेशन पॉलिसीज में बजट के इस्तेमाल की समीक्षा रिपोर्ट शामिल हैं।
ये रिपोर्ट अभी सदन में क्यों पेश नहीं की? सोर्स जवाब देते हैं, ‘सारे झटके एक साथ नहीं देंगे। अभी तो 5 साल बाकी हैं। सही समय देखकर जनता के सामने शिक्षा विभाग की रिपोर्ट रखी जाएगी।’
जांच के दायरे में आएंगे सिसोदिया और आतिशी जेल जाने से पहले दिल्ली के पूर्व डिप्टी CM मनीष सिसोदिया ही एजुकेशन मिनिस्टर थे। 14 फरवरी 2015 से 28 फरवरी 2023 तक दो कार्यकाल में सिसोदिया ने ये विभाग संभाला। अब शराब घोटाले में फंसे सिसोदिया पर दूसरी मुसीबत शिक्षा घोटाले से आ सकती है।
हमने पूछा कि ये रिपोर्ट विधानसभा में कब तक पेश की जाएगी? जवाब मिला-
दिल्ली सरकार AAP के दौर में हुए घोटालों की परतें खोलने की तैयारी में है। कुछ घोटाले पंजाब चुनाव के आसपास भी सामने लाए जाएंगे। इसमें से एक शिक्षा घोटाला भी हो सकता है।
क्या इस घोटाले में पूर्व CM आतिशी भी फंस सकती हैं? जवाब मिला- ‘आतिशी ने एजुकेशन डिपार्टमेंट मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद संभाला था। उन्हें काम करने के लिए 2 साल से भी कम वक्त मिला। उन पर भी आरोप तो लगेंगे ही, लेकिन मुख्य आरोपी सिसोदिया ही रहेंगे।’
सोर्स ने बताया, ‘जिस एजुकेशन मॉडल पर केजरीवाल ने इंटरनेशनल अवॉर्ड बटोरे, AAP सरकार ने पूरे देश में जिस मॉडल का प्रचार किया और वाहवाही लूटी, ये रिपोर्ट उसे बिल्कुल खत्म कर देगी। एजुकेशन डिपार्टमेंट की कैग रिपोर्ट AAP के लिए बड़ा झटका लेकर आएगी।’
2. सोशल सेक्टर की योजनाएं मुफ्त बिजली-पानी और ऐसी ही बाकी योजनाओं के कामकाज और फाइनेंशियल मैनेजमेंट की रिपोर्ट इसमें आती है। सदन में पेश की जाने वाली ये तीसरे नंबर की रिपोर्ट हो सकती है। इसमें SC-ST कम्युनिटी के लिए चलाई जा रही योजनाओं में खर्च होने वाला फंड सवालों के घेरे में है।
हर साल आम आदमी पार्टी की सरकार में इस कम्युनिटी के लिए करीब 3 हजार करोड़ रुपए का फंड दिया जाता था। सोर्स के मुताबिक, कम्युनिटी पर इस रकम का बहुत मामूली हिस्सा खर्च होता था। बाकी बचा फंड दूसरे विभाग में ट्रांसफर होता था। कैग की रिपोर्ट में फंड की हेराफेरी का मामला सामने आएगा।
पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम जांच के दायरे में आएंगे राजेंद्र पाल गौतम 14 फरवरी 2015 से 19 अक्टूबर 2022 तक समाज कल्याण, अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग के मंत्री रहे। 3 नवंबर 2022 से 11 अप्रैल 2024 तक राजकुमार आनंद ने ये मंत्रालय संभाला। सोर्स के मुताबिक फंड की हेराफेरी के मामले 2023 से पहले के हैं। अगर इसकी रिपोर्ट सामने आई, तो जांच के दायरे में राजेंद्र पाल गौतम ही आएंगे।

जिस समय दिल्ली विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश हो रही थी, उस वक्त सदन में एंट्री नहीं मिलने के विरोध में AAP विधायकों ने विरोध प्रदर्शन किया।
3. पॉल्यूशन पर किए खर्च का ऑडिट पॉल्यूशन के अलावा बाकी कामों जैसे कचरा प्रबंधन में सरकार के काम को लेकर एक रिपोर्ट सामने आएगी। पॉल्यूशन कम करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए, इस रिपोर्ट में इसकी भी जांच की गई है। ये कैग की शुरुआती 5 रिपोर्ट में शामिल है।
पूर्व पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन और गोपाल राय की मुश्किलें बढ़ेंगी इमरान हुसैन 14 फरवरी 2015 से 14 फरवरी 2020 तक पर्यावरण मंत्री रहे। फिर 16 फरवरी 2020 से 17 सितंबर 2024 तक ये विभाग गोपाल राय के पास रहा। गड़बड़ी सामने आने पर ये दोनों मंत्री जांच के दायरे में आ सकते हैं।
4. लेबर डिपार्टमेंट का रिपोर्ट कार्ड लेबर डिपार्टमेंट का काम भले ही कैग की 14 रिपोर्ट्स में शामिल नहीं है, लेकिन इस विभाग की गड़बड़ियों पर भी नई सरकार की नजर है। सोर्स के मुताबिक, ये विभाग जांच के दायरे में है। भविष्य में लेबर डिपार्टमेंट का रिपोर्ट कार्ड अरविंद केजरीवाल के लिए सिरदर्द बन सकता है।
पूर्व श्रम मंत्री गोपाल राय आ सकते हैं जांच के दायरे में 14 फरवरी 2015 से 14 फरवरी 2020 तक गोपाल राय दिल्ली सरकार में श्रम मंत्री रहे। उसके बाद 16 फरवरी 2020 से 28 फरवरी 2023 तक सत्येंद्र जैन ने ये विभाग संभाला। सोर्स के मुताबिक, इस विभाग में फंड की हेराफेरी या घोटाले से ज्यादा फंड खर्च न करने का मामला सामने आ सकता है।
आरोप है कि इस विभाग के लिए फंड दिया जाता था, लेकिन फंड खर्च करने की जगह उसे फिक्स डिपॉजिट करा दिया जाता था। फिर उससे आने वाले ब्याज का इस्तेमाल पार्टी अपने खर्चों के लिए करती थी।
ये रकम 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस पर अगर 2.5% ब्याज भी जोड़ा जाए, तो ये 75 करोड़ रुपए होता है। इसे लगातार पार्टी के खर्च में इस्तेमाल किया गया। इसकी रिपोर्ट पेश हुई, तो गोपाल राय और सत्येंद्र जैन जांच के दायरे में आएंगे।
5. मुख्यमंत्री आवास का रेनोवेशन दिल्ली के पूर्व CM अरविंद केजरीवाल के सरकारी बंगले के रेनोवेशन पर 33.66 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। ये मूल बजट 7.61 करोड़ रुपए से 5 गुना ज्यादा था। इस रिपोर्ट में बजट से ज्यादा खर्च और ट्रांसपेरेंसी की कमी पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
हालांकि, अभी ये रिपोर्ट सदन में पेश नहीं की गई है। BJP CM हाउस को शीशमहल बताकर इस पर हुए खर्च का डेटा टुकड़ों-टुकड़ों में जारी करती रही है। ये दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा भी बना था।
अब तक सामने आईं कैग की दो रिपोर्ट्स 1. लिकर पॉलिसी और सप्लाई पर ऑडिट दिल्ली की नई शराब नीति अब रद्द हो चुकी है। हालांकि, कैग की रिपोर्ट में इससे 2,002 करोड़ रुपए के रेवेन्यू लॉस का दावा किया गया है। रिपोर्ट में लाइसेंस देने में गड़बड़ी और कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने का आरोप है। रिपोर्ट में मुख्य रूप से तीन गड़बड़ियां सामने आईं:
- गलत फैसलों की वजह से सरकार को ज्यादा राजस्व का नुकसान हुआ। नॉन कंफर्मिंग इलाकों में शराब की दुकानें नहीं खोलने की वजह से 941.53 करोड़ रुपए का घाटा हुआ।
- छोड़े गए लाइसेंस को री-टेंडर नहीं करने की वजह से 890 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। कोरोना के नाम पर लाइसेंस फीस माफ करने के फैसले से 144 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
- सिक्योरिटी डिपॉजिट सही से कलेक्ट ना करने से 27 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
2. पब्लिक हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर और सर्विसेज हेल्थ डिपार्टमेंट से जुड़ी CAG की 7 पन्नों की रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी है। नर्स और डॉक्टर्स की संख्या पर्याप्त नहीं है। महिलाओं के हेल्थ प्रोग्राम में फंडिंग की कमी है। एम्बुलेंस में जरूरी उपकरण नहीं हैं। ICUs की कमी है।
मोहल्ला क्लिनिक और हेल्थ पॉलिसीज के लिए आए फंड के इस्तेमाल और खर्च की ऑडिट रिपोर्ट सामने आ चुकी है। रिपोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के फंड और मैनेजमेंट पर सवाल उठाए गए हैं। सबसे ज्यादा सवाल मोहल्ला क्लिनिक के मैनेजमेंट पर उठे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के कम से कम 21 मोहल्ला क्लिनिक में टॉयलेट नहीं हैं। अस्पतालों में स्टाफ की कमी है। बड़े ऑपरेशन के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा कोविड-19 के दौरान केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को जो रकम दी थी, उसका इस्तेमाल ही नहीं किया गया।
- रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड से निपटने के लिए दिल्ली सरकार को केंद्र से 787.91 करोड़ रुपए मिले थे। इनमें से सिर्फ 582.84 करोड़ रुपए ही खर्च हुए।
- कैग रिपोर्ट के मुताबिक, हेल्थ वर्कर्स की भर्ती और सैलरी के लिए 52 करोड़ रुपए मिले थे। इसमें से 30.52 करोड़ खर्च ही नहीं किए गए। यानी महामारी के दौरान लोग मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे थे। उस वक्त में भी दिल्ली सरकार ने स्टाफ की भर्ती नहीं की।
- इसी तरह दवाओं, PPE किट और अन्य मेडिकल सप्लाई के लिए मिले 119.85 करोड़ में से 83.14 करोड़ रुपए खर्च नहीं हुए।