भूटान की आबादी से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे खाटू श्याम:VIP एंट्री बंद होने से ट्रैफिक आसान, व्यापारी बोले- पाबंदियों से करोड़ों का घाटा हुआ


खाटू श्याम जी का लक्खी मेला इस बार 12 दिन का है। पिछले 7 दिन में पड़ोसी मुल्क भूटान की कुल आबादी 8 लाख के बराबर श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। औसत निकाला जाए तो हर दिन लगभग 1.14 लाख श्रद्धालु खाटूश्यामजी पहुंच रहे हैं।
मेला कमेटी को 10 मार्च (ग्यारस) तक यह संख्या तिगुनी से भी ज्यादा होने का अनुमान है। बावजूद इसके व्यापारी और स्थानीय दुकानदार इस साल 50 फीसदी घाटे की बात कह रहे हैं।
स्थानीय और मंदिर समिति से जुड़े लोगों का भी मानना है कि इस साल मेले में आने वाले लोगों की संख्या पिछले कई साल की तुलना में सबसे कम है। आखिर क्या वजह रही, जो इस साल भीड़ कम है। असलियत समझने के लिए हम ग्राउंड पर पहुंचे…
सबसे पहले समझते हैं श्रद्धालुओं का गणित श्याम मंदिर कमेटी के रियल टाइम डेटा का लेखा-जोखा रखने वाले संतोष शर्मा ने बताते हैं- 6 मार्च की शाम तक मेले में 6.5 लाख से ज्यादा लोगों ने दर्शन किए। मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की गिनती करने के लिए चारण ग्राउंड की ओर से प्रवेश द्वार पर 14 हेड काउंटिंग मशीन लगाई गई हैं। यह रियल टाइम डेटा बताती हैं। इसके अलावा 14 डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर भी लगे हैं। इनके जरिए भक्तों की काउंटिंग की जा रही है।
12 दिन के मेले में शुरुआती 8 दिन में कितने श्रद्धालु आए, जानिए…
हर दिन लगभग 1.05 लाख श्रद्धालु पहुंच रहे हैं 28 फरवरी से 7 मार्च तक 9 लाख 47 हजार से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। यह पड़ोसी देश भूटान की कुल जनसंख्या (795,045) से भी ज्यादा है। 28 फरवरी से 8 मार्च तक की औसत निकाली जाए तो हर दिन लगभग 1.05 लाख श्रद्धालु खाटूश्यामजी पहुंच रहे हैं।
मंदिर कमेटी की लीगल सेल से जुड़े अधिवक्ता भानु प्रकाश कहते हैं- 8, 9 और 10 मार्च (ग्यारस) पर यह संख्या तिगुनी से भी ज्यादा हो सकती है। 12 दिन के मेले में अनुमानित 20-25 लाख श्रद्धालु खाटू पहुंचेंगे। यह संख्या नामीबिया (25 लाख), बोत्सवाना (24 लाख) और मकाऊ (22 लाख) जैसे छोटे देश की पूरी जनसंख्या के बराबर है।

खाटूश्याम जी में रोज भक्तों की संख्या बढ़ रही है। मेला कमेटी को एकादशी के दिन सबसे ज्यादा भीड़ होने का अनुमान है।
भास्कर संवाददाता ने तीन दिन मेले में स्थानीय लोगों, व्यापारियों, फुटकर दुकानदारों और होटल मालिकों से बात की। कई व्यापारियों ने कहा कि इस बार भले ही भक्तों की भीड़ उतनी आ रही है, लेकिन व्यापारियों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा। इसके तीन मुख्य कारण जो सामने आए…
1. मेले की अवधि बढ़ाकर 12 दिन करना आमतौर पर खाटूश्याम जी लक्खी मेला 5 से 6 दिन का होता आया है। बीते साल मेला प्रशासन ने इसकी अवधि बढ़ाकर 10 दिन की थी। इस साल इसे 12 दिन का कर दिया। 28 फरवरी से मेला शुरू होने की घोषणा कर दी गई। 26 फरवरी को प्रयागराज महाकुंभ का मेला पूरा हुआ था। यूपी, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश बंगाल, दिल्ली और पंजाब के श्रद्धालुओं को लक्खी मेले में आने की तैयारी का मौका नहीं मिल सका। 45 दिन के महाकुंभ से लोगों का बजट भी बिगड़ा हुआ था। इसलिए काफी श्रद्धालु थकान, बजट और जल्दी शुरू होने के कारण शुरुआती एक सप्ताह में कम पहुंचे। ज्यादातर लोग ग्यारस और वीकेंड पर ही परिवार के साथ आते हैं।

खाटू श्याम मेले में तैनात पुलिसकर्मी चप्पे-चप्पे पर नजर बनाए हुए हैं।
2. ट्रैफिक डायवर्जन और बैरिकेड की जल्दबाजी मेला प्रशासन ने ट्रैफिक और भीड़ को काबू करने के लिए मेले के प्रमुख दिनों से सप्ताह भर पहले ही पूरे मेला क्षेत्र में नो व्हीकल जोन, बैरिकेडिंग और ट्रैफिक डायवर्जन कर दिया। व्यापारियों और स्थानीय लोगों ने बताया कि लोकल बाशिंदों और दुकानदारों को भी मेले की घोषणा से पहले पास जारी नहीं किए गए। वहीं जयपुर, अजमेर, दिल्ली से आने वाले श्रद्धालुओं के वाहनों को 15 किलोमीटर डायवर्ट कर मंढ़ा मोड़ होते हुए 52 बीघा पार्किंग की ओर भेज दिया।
रेनवाल लामिया की ओर से आने वाले पद यात्रियों को सीतारामपुरा जोहड़ी पार्किंग से चारण खेत मैदान से लखदातार ग्राउंड की ओर से 75 फीट मैदान से मंदिर में प्रवेश देकर उसी दिशा से बाहर भेज रहे हैं। खरीददारी के लिए इन श्रद्धालुओं को वापस 5 से 6 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
खाटूधाम व्यापार मंडल के कोषाध्यक्ष गिरिराज मटोलिया ने बताया कि प्रशासन ने बैरिकेडिंग इस तरह से की है कि बाजार तक लोग बहुत कम आ पा रहे हैं। इससे व्यापर बुरी तरह प्रभावित हुआ है।