ऐक्टू की 11 वीं अखिल भारतीय सम्मेलन आज तालकटोरा स्टेडियम में शुरू, वक्ताओं ने कहा मजदूर किसान ही देश के असली मालिक, कॉरपोरेट लुटेरों से देश बचाना जरूरी

हम हैं इसके मालिक हिंदुस्तान हमारा के नारे के साथ ऐक्टू का 11वां अखिल भारतीय सम्मेलन आज तालकटोरा स्टेडियम में शुरू हुआ। सम्मेलन में इंटक, एटक, सीटू एआइयूटीयूसी, यूटीयूसी समेत कई केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय नेताओं ने संबोधित किया। सम्मेलन में शामिल होने आए नेपाल बांग्लादेश समेत अन्य देशों के विदेशी अतिथि आकर्षण का केंद्र बने रहे। सम्मेलन की शुरुआत मजदूर आंदोलन के शहीदों, दुर्घनाओं में मौत के शिकार हुए मजदूरों को एक मिनट की मौन श्रद्धांजलि देकर हुई।
सम्मेलन के खुले सत्र का उदघाटन भाषण में अपने संबोधन में भाकपा माले के राष्ट्रिय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि कहा कि 1857 में जो आजादी के लिए विद्रोह हुआ उसका नारा था हम हैं इसके मालिक हिंदुस्तान हमारा, बिरसा मुंडा के अबुआ झारखंड अबुवा राज का नारा भी इसी मालिकाना हक की आवाज थी। लेकिन आज जिस तरह से देश के मजदूरों अपमानित किया जा रहा है। वे मजदूर ही थे जो बेहतर भविष्य की चाह में काम की तलाश में अमेरिका गए थे। आज उसे हाथों में हथकड़ियां और पैरो में बेड़ियां लगाकर अपमानित करके भारत भेजा गया, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार चुप है। अगर हमें अपने लोगों को देश में लाना हो तो सम्मान पूर्वक लाया जाना चाहिए था। मोदी सरकार के हाथों ना तो देश की और ना मजदूरों के स्वाभिमान की रक्षा रक्षा संभव है। मजदूरों को काम के घंटे बढ़ाने की वकालत हो रहीं है लेकिन उनके वेतन बढ़ोतरी की बात नहीं हो रहीं है। आज मजदूरों के हक की बात को और भी ज़ोरदार तरीके से उठाने की ज़रूरत है हम हैं इसके मालिक हिंदुस्तान हमारा उन्होंने आगे कहा कि बुलडोजर से घरों को दुकानों को ढाया जा रहा है नफरत की राजनीति को बढ़ावा देकर सामाजिक एकता को ढहाया जा रहा है। संविधान ,आजादी ,लोकतंत्र के रक्षा की आवाज भी मजदूरों को बनना होगा। मजदूरों को सिर्फ वेतन और लाभ बढ़ोतरी के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के बारे में सोचना चाहिए, इसीलिए आज बड़ी एकता की जरुरत है।
भाकपा माले के सांसद राजाराम सिंह एवं सुदामा प्रसाद भी मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित थे। सम्मेलन में झारखंड से कुल 54 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
जेएनयू के अर्थशास्त्री ने कहा कि मजदूरों की पूंजी से संघर्ष का लंबा इतिहास है इसे हम तीन तरीके से देख सकते है। वैश्वीकरण को दुनिया और देश के मजदूरों का भविष्य है यह अब धोखा साबित हो रहा है। नौकरियां जो हमारे भविष्य को ठीक करेगा अब सिर्फ भत्ता की बात हो रही है भविष्य की नहीं। सरकार की नीतियां श्रम और श्रमिकों की ताकत को कमजोर तरीके से आका जा रहा है। मज़दूर को कामचोर कहकर बदनाम किया जा रहा है। यह इसी लिए किया जा रहा है कि पूंजी और पूंजीपतियों के लिए नीतियां बनाई जा सके ।सरकार कि नीतियों से देश की 96 प्रतिशत जनता की गायब है। संसद और सड़क के आन्दोलन को मजबूत करने की जरुरत है।
ऐक्टू के 11वें राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होने वाले झारखंड के प्रतिनिधियों में मजदूर नेता भुवनेश्वर केवट, विकास सिंह, गीता मंडल बालेश्वर गोप ,कृष्णा सिंह, महेश सांवरिया बालेश्वर यादव ,गोपाल शरण सिंह, अमल घोष, सुभाष मंडल देव द्वीप सिंह दिवाकर, सुशीला तिग्गा, भूषण कुमार, आरती कुमारी दिव्या भगत, अशोक महतो , ब्रिज नारायण मुंडा, सुलेंद्र घांसी मनोज कुशवाहा,चिंता देवी, देवकी देवी मीनू देवी सुरेश्वरी देवी दिल देवी अलमा खलखो, अलमा खलखो, आदि मुझसे मुख्य रूप से शामिल है।