खाटू में निशान चढ़ाने के बाद लक्खी मेले का समापन:पिछले साल से इस बार भीड़ रही कम, जिला प्रशासन के सख्त रवैये का असर रहा


सीकर के खाटू में बाबा श्याम के 12 दिवसीय वार्षिक फाल्गुनी लक्खी मेले का समापन आज (मंगलवार) को बाबा खाटूश्याम की भोग आरती व निशान चढ़ाने के बाद हो गया। हर साल की तरह इस बार भी बाबा श्याम के मंदिर पर सूरजगढ़ का प्रसिद्ध निशान चढ़ाया गया।

सूरजगढ़ का निशान चढ़ाने के बाद लख्खी मेले का समापन हुआ।
निशान चढ़ाने के बाद हुई औपचारिक घोषणा
मंगलवार को द्वादशी होने के कारण बाबा श्याम को परंपरागत रूप से खीर चूरमे का भोग लगाया गया और मंदिर में छप्पन भोग की झांकी सजाई गई। बाबा श्याम की भोग आरती के बाद लक्खी मेले के समापन की औपचारिक घोषणा श्री श्याम मंदिर कमेटी की ओर से की गई। जिसके बाद भक्त बाबा श्याम के दर्शन कर वापस अपने घरों को लौटने शुरू हो गए। वहीं हजारों श्याम भक्त बाबा श्याम के साथ होली खेलने के लिए श्याम नगरी में रुके हुए हैं और होली के बाद ही खाटू धाम से रवाना होंगे।
10 लाख घटी भक्तों की संख्या
बता दें कि खाटू में फाल्गुनी लक्खी मेला 28 फरवरी से 11 मार्च तक आयोजित किया गया था। मंदिर कमेटी के मैनेजर संतोष शर्मा ने बताया कि इस बार देशभर से 20 लाख भक्तों ने खाटू नरेश के निज मंदिर पहुंचकर बाबा श्याम के दर्शन किए। पिछले साल 2024 में लक्खी मेले में मंदिर कमेटी के अनुमान के मुताबिक करीब 30 लाख भक्त आए थे। पिछले साल के मुकाबले इस साल मेले में भक्तों की संख्या 10 लाख कम रही है।

मेले का समापन होने के बाद घरों को लौटते हुए भक्त।
इन कारणों से भक्तों की संख्या घटी
- इस बार खाटू मेले में वीआईपी दर्शन पूरी तरह से बंद थे। वीआईपी लाइन भी भक्तों के लिए खुली थी।
- मेले में जिला प्रशासन के सख्त रवैये के कारण भी भक्तों को परेशानी का सामना करना पड़ा। खाटू में मेले के दौरान 2 दिन बाजार बंद रहा।
- राजस्थान में चल रही बोर्ड की परीक्षा का प्रभाव भी मेले में देखने को मिला। इसके कारण स्टूडेंट्स व परिजन नहीं आए।
- मेले में भीड़ कम रहने का मुख्य कारण महाकुंभ का मेला भी माना जा रहा। 26 फरवरी को महाकुंभ खत्म हुआ था और 28 फरवरी से लक्खी मेला शुरू हुआ।
- महाकुंभ से आए भक्तों ने आराम किया और बजट नहीं बना पाए। वहीं महाकुंभ के कारण सरकारी व प्राइवेट कर्मचारियों को फिर से छुट्टी नहीं मिलना भी प्रमुख वजह रही।
- खाटू मेला शुरू होने से पहले प्रशासन इस बार मेले में 50 लाख भक्तों के आने की संभावना जता रहा था लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
- मेले के शुरुआती दिनों 28 फरवरी से 8 मार्च तक बहुत कम संख्या में भक्त आए। हालांकि, 8 से 10 मार्च को लाखों भक्त खाटू नगरी पहुंचे।
शांतिपूर्ण संपन्न हुआ मेला
वार्षिक मेले के दौरान छोटी-मोटी घटनाओं व परेशानियों को अगर छोड़ दिया जाए तो मेला पूरी तरह से शांतिपूर्ण संपन्न हुआ। जिसके चलते जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन ने अब राहत की सांस ली है। जिला प्रशासन की ओर से इस बार श्याम भक्तों के लिए सुरक्षा और सुविधा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पिछले साल के मुकाबले इस बार अधिक पुलिस जाब्ता मेले में तैनात किया गया था। श्री श्याम मंदिर कमेटी की ओर से भी भक्तों को श्रद्धालुओं की सुविधा और सहायता के लिए बेहतरीन व्यवस्थाएं की गई थी।