ट्रम्प ने 43 देशों के नागरिकों पर अमेरिका में प्रवेश पर पाबंदी की योजना क्यों बनाई, पाकिस्तान भी शामिल


पाकिस्तान के राजदूत के.के अहसान को पिछले हफ्ते ही अमेरिका में घुसने से रोका गया था। वीजा होने के बावजूद उन्हें वापस डिपोर्ट कर दिया गया। तब खबरें चलीं कि ट्रम्प इमिग्रेशन नियमों पर बेहद सख्त हैं और यात्रा प्रतिबंध के लिए एक लिस्ट तैयार कर रहे हैं।
अब न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा है कि ट्रम्प प्रशासन ने 43 देशों पर ट्रैवल बैन की लिस्ट तैयार कर ली है। इनमें अफगानिस्तान, सीरिया और ईरान के साथ पाकिस्तान भी शामिल है।
ट्रम्प ने किस आधार पर चुने 43 देश, क्या इन देशों के लोग अमेरिका जा ही नहीं पाएंगे और क्या अमेरिका में बसे इन देशों के लोगों को बाहर निकाला जाएगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: ट्रम्प की ट्रैवल बैन लिस्ट में शामिल 43 देश कौन-से हैं?
जवाब: न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने ट्रैवल बैन के लिए 43 देशों की एक शुरुआती लिस्ट बनाई है। इसे तीन पार्ट में बांटा गया है। सबसे सख्त प्रतिबंध वाली रेड लिस्ट में अफगानिस्तान, ईरान, नॉर्थ कोरिया जैसे 11 देश हैं। इसके अलावा ऑरेंज लिस्ट में पाकिस्तान, रूस जैसे 10 देश और यलो लिस्ट में जिम्बॉब्वे और वानुअतु जैसे 22 देश हैं।
सवाल-2: इन 3 कैटेगरी में शामिल देशों पर किस तरह का ट्रैवल बैन लगाया जाएगा?
जवाब:
- रेड लिस्ट: इन 11 देशों से अमेरिका आने वाले लोगों को किसी भी सूरत में अमेरिका का वीजा नहीं दिया जाएगा।
- ऑरेंज लिस्ट: इन 10 देशों के नागरिकों की अमेरिका यात्रा पर सख्ती की जाएगी, लेकिन पूरी तरह से यात्रा पर बैन नहीं लगाया जाएगा। अमीर कारोबारियों को अमेरिका में एंट्री मिलेगी, लेकिन वीजा लेने के लिए इंटरव्यू से गुजरना होगा। अप्रवासी वीजा या टूरिस्ट वीजा पर आने वाले लोगों को एंट्री नहीं दी जाएगी।
- यलो लिस्ट: इन 22 देशों को कथित दिक्कतें और कमियां दूर करने के लिए 60 दिन का समय दिया जाएगा। अगर ये देश ये कमियां दूर नहीं करते तो 60 दिन बाद उन्हें रेड या ऑरेंज लिस्ट में डाला जा सकता है। ये कमियां हो सकती हैं- अमेरिका के साथ अपने यहां से जाने वाले लोगों की जानकारी न शेयर करना, पासपोर्ट जारी करने में सिक्योरिटी के नियमों का ध्यान न रखना या किसी दूसरे बैन देश के किसी नागरिक को अपने यहां की नागरिकता और पासपोर्ट देकर अमेरिका भेजना।

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और ट्रम्प प्रशासन के दूसरे अधिकारी ट्रैवल बैन की लिस्ट को फाइनल करेंगे।
सवाल-3: ट्रम्प ने 43 देश किस आधार पर चुने, इन पर ही बैन क्यों लगाया जा रहा है?
जवाब: अमेरिका का स्टेट डिपार्टमेंट अमेरिका की विदेश नीति से जुड़े काम देखता है। 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के तुरंत बाद ट्रम्प ने अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट को एक आदेश जारी किया था।
इस एग्जीक्यूटिव ऑर्डर का टाइटल था- ‘Protecting The United States From Foreign Terrorists And Other National Security And Public Safety Threats.’ यानी ‘विदेशी आतंकवादियों और नेशनल सिक्योरिटी के लिए दूसरे खतरों से अमेरिका की रक्षा करना।’
ऑर्डर में कहा गया था, ‘ट्रम्प अमेरिका के लोगों को ऐसे विदेशियों से बचाने के लिए दोबारा बैन लागू करेंगे जो आतंकवादी हमला करना चाहते हैं, नफरत भरी सोच रखते हैं और अपने इन इरादों को पूरा करने के लिए अमेरिका में एंट्री पाने के कानून का गलत फायदा उठाते हैं।’
एक अधिकारी के मुताबिक, 21 मार्च तक ऐसे देशों की लिस्ट बनाने को कहा गया। इसमें स्टेट डिपार्टमेंट के साथ, गृह विभाग, वाणिज्य विभाग और नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसियां भी शामिल हुईं। हालांकि इस लिस्ट में शामिल देशों का कोई साफ पैटर्न नहीं है।
जैसे- रूस को ऑरेंज लिस्ट में रखा गया है, जबकि ट्रम्प अपने इस कार्यकाल में रूस के साथ नरम विदेश नीति कायम करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं वेनेजुएला के साथ अमेरिका के संबंध अच्छे रहे हैं, इसके बावजूद उसे रेड लिस्ट में रखा गया है।
सवाल-4: ट्रम्प के ट्रैवल बैन लिस्ट में ज्यादातर मुस्लिम देश क्यों हैं?
जवाब: ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान, 2017 में उन्होंने दो फेज में 9 देशों पर ट्रैवल बैन लगाए थे- सीरिया, इराक, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन, नॉर्थ कोरिया और वेनेजुएला।
इसे ‘मुस्लिम ट्रैवल बैन’ कहा गया। अमेरिका की कई अदालतों ने ट्रम्प के इस ऑर्डर पर रोक लगा दी, मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
2018 में अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने कुछ बदलाव के साथ 6 मुस्लिम देशों पर बैन को कायम रखने का निर्णय दिया। ये देश थे- सीरिया, इराक, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन।

अक्टूबर 2017 में वॉशिंगटन में मुस्लिम देशों पर ट्रैवल बैन का विरोध करते अमेरिका के लोग। (फोटो सोर्स- AP)
जनवरी 2021 में जो बाइडेन ने राष्ट्रपति बनने के बाद इन देशों पर बैन हटा दिया। तब उन्होंने कहा था, ‘ये देश की अंतरात्मा पर चोट है। ये हर धर्म के मानने वालों का स्वागत करने के अमेरिका के पुराने इतिहास के खिलाफ है।’
इधर राष्ट्रपति चुनाव के पहले प्रचार में ट्रम्प ने फिर से ये बैन लगाने की बात कहनी शुरू की।
अक्टूबर 2023 में ट्रम्प ने वादा किया कि राष्ट्रपति बनने के बाद वह गाजा, लीबिया, सोमालिया, सीरिया और यमन जैसे किसी भी देश से आने वाले ऐसे लोगों पर पूरी तरह बैन लगाएंगे, जो अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।
सितंबर 2024 में ट्रम्प ने फिर से याद दिलाते हुए कहा,
मशहूर ट्रैवल बैन याद है? हमने दुनिया के कुछ खास इलाके के लोगों को एंट्री नहीं दी। हम संक्रमित देशों के लोगों को एंट्री नहीं देंगे। हम पहले दिन से (ट्रम्प की सरकार बनने के बाद) बैन लगाएंगे।
अब जो बैन का नया ड्राफ्ट आया है, उसकी रेड लिस्ट से ट्रम्प का वह नजरिया साफ दिखता है। इसमें सिर्फ दो देश नए हैं- क्यूबा और अफगानिस्तान। बाकी नॉर्थ कोरिया और वेनेजुएला सहित वही 6 मुस्लिम देश हैं जिन पर ट्रम्प ने 2017 में बैन लगाया था। ये मुस्लिम बहुल आबादी वाले और गरीब देश हैं।
वहीं ऑरेंज लिस्ट और यलो लिस्ट में अश्वेत बहुल आबादी वाले कई छोटे-छोटे, गरीब अफ्रीकी देश हैं। इन देशों की सरकारें कमजोर या भ्रष्ट मानी जाती हैं।
हालांकि सभी 43 देशों की लिस्ट देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि ट्रम्प के निशाने पर सिर्फ इस्लामिक देश हैं। उदाहरण के लिए भूटान। भारत और चीन के बीच एक छोटा सा देश है। यहां की ज्यादातर आबादी बौद्ध धर्म मानने वाली है। चीन और भारत पर कोई बैन नहीं लगाया जा रहा, जबकि भूटान को रेड लिस्ट में रखा गया है।
सवाल-5: अमेरिका में ट्रैवल बैन की ये पॉलिसी कब से लागू होगी?
जवाब: अब तक अमेरिका के किसी भी विभाग या एजेंसी ने इस बारे में कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है कि कितने देशों पर और कब तक बैन लागू होगा।
हालांकि अधिकारियों ने नाम न लेने की शर्त पर अखबार को बताया कि बैन किए जाने वाले देशों की यह लिस्ट अमेरिका के विदेश विभाग ने कई सप्ताह पहले ही बना ली थी। उसके बाद इसे ट्रम्प के ऑफिस यानी व्हाइट हाउस भेजा गया। हो सकता है कि इसमें कुछ बदलाव भी हुए हों।
अमेरिकी दूतावासों, खुफिया एजेंसियों और अमेरिका के दूसरे सरकारी विभागों के सुरक्षा अधिकारी अभी इस लिस्ट का रिव्यू कर रहे हैं। यह तय किया जाना है कि जिन वजहों से इन देशों पर बैन लगाया जा रहा है, वह सही हैं या सिर्फ ट्रम्प प्रशासन की पॉलिसीज के चलते ऐसा किया जा रहा है। अधिकारी यह तय करेंगे कि क्या इस ट्रैवल बैन वाली लिस्ट से किसी देश को निकाला जा सकता है। उसके बाद ही फाइनल ऑर्डर जारी किए जाएंगे।
सवाल-6: क्या अमेरिका में ग्रीन कार्ड लेकर स्थायी रूप से रह रहे इन देशों के लोगों को भी बाहर निकाला जाएगा?
जवाब: अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इन 43 देशों के जो लोग अभी किसी न किसी कैटेगरी का वीजा लेकर अमेरिका में रह रहे हैं, उनका क्या होगा। इन लोगों का वीजा रद्द भी किया जा सकता है। इन देशों के जिन लोगों को ग्रीन कार्ड मिला हुआ है, उन्हें छूट मिलेगी या नहीं, ये भी अभी नहीं कहा सकता।
असल में ग्रीन कार्ड एक तरह से अमेरिका में स्थायी रूप से रहने और काम करने के लिए मिलने वाला कार्ड है। ग्रीन कार्ड धारक लोगों को कुछ समय बाद अमेरिका की स्थायी नागरिकता दे दी जाती है।
बीते सप्ताह ट्रम्प प्रशासन ने कहा था कि उसने कोलंबिया यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट स्टूडेंट रहे महमूद खलील का ग्रीन कार्ड रद्द कर दिया है। खलील सीरिया में जन्मे और फिलिस्तीनी मूल के हैं। ट्रम्प प्रशासन का कहना था कि खलील ने गाजा में इजराइल के जंग छेड़ने के खिलाफ यूनिवर्सिटी कैंपस में हुए विरोध प्रदर्शनों को लीड किया था। खलील का ग्रीन कार्ड रद्द करने का मामला अमेरिका के एक कोर्ट में चल रहा है।

फिलिस्तीनी कार्यकर्ता महमूद खलील ने एक अमेरिकी महिला से शादी की है, उन्हें गिरफ्तार करके डिटेंशन सेंटर में रखे जाने का लोग विरोध कर रहे हैं।
सवाल-7: इस ट्रैवल बैन से इन देशों के लोगों पर क्या फर्क पड़ेगा?
जवाब: विदेशी मामलों के जानकार प्रोफेसर एके पाशा कहते हैं कि अमेरिका अप्रवासियों का देश है। पाकिस्तान, म्यांमार और अफगानिस्तान जैसे देशों के लोग सालों से वहां रहकर काम कर रहे हैं। उनके बच्चे अमेरिका में पढ़ रहे हैं। अमेरिका की इकोनॉमी के अलावा वहां के सामाजिक ताने-बाने को बनाने में इन देशों के लोग शामिल हैं। ट्रम्प के इस फैसले से इन देशों के लोगों के रोजगार और अमेरिका की सामाजिक विविधता पर बुरा असर पड़ेगा।
सवाल-8: ट्रम्प यह बड़ा फैसला क्यों ले रहे हैं, इससे अमेरिका पर क्या असर पड़ेगा?
जवाब: प्रोफेसर एके पाशा ट्रम्प के इस फैसले के पीछे तीन वजहें बताते हैं-
- 2017 में मुस्लिम देशों पर बैन के पीछे इजराइल की यहूदी समर्थक लॉबी का दबाव था। अभी भी ट्रम्प उसी विचारधारा के लोगों को संतुष्ट करने के लिए मुस्लिम देशों पर बैन लगाने जा रहे हैं। अमेरिका के कॉलेज और यूनिवर्सिटीज से इजराइल विरोधी प्रदर्शन करने वाले छात्रों को चुन-चुनकर अमेरिका से निकाल कर डिपोर्ट किया जा रहा है।
- अमेरिका में व्हाइट सुप्रीमेसी (यानी व्हाइट लोगों को अमेरिका में सबसे अहम माने जाने वाली मानसिकता) को मानने वाले लोग ट्रम्प के समर्थक हैं। ऐसे लोगों को सरकार का काम दिखाने के लिए अश्वेत बहुल अफ्रीकी देशों पर ट्रैवल बैन लगाया जा रहा है। ट्रम्प के शासन में पहले भी अफ्रीकी मूल के लोगों को निकाला जा चुका है।
- ट्रम्प नेशनल सिक्योरिटी को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहते। वह उन देशों के लोगों को एंट्री नहीं देना चाहते, जिनसे अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी को खतरा है या जो लोग अमेरिका में हथियारों और ड्रग्स की अवैध स्मगलिंग को बढ़ावा देते हैं।
एके पाशा के मुताबिक, अगर ट्रम्प इतने देशों पर एक साथ ट्रैवल बैन का फैसला लेते हैं तो अमेरिका में ही लोग बड़े पैमाने पर इसका विरोध करेंगे। अमेरिका के कॉलेज, यूनिवर्सिटी, बिजनेस से लेकर हर काम के हर जरूरी सेक्टर में इन देशों के लोग मौजूद हैं। इस निर्णय से निश्चित तौर पर अमेरिका में अव्यवस्था फैलेगी।
————-
अमेरिका से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
आज का एक्सप्लेनर:ट्रम्प की धमकी से क्या भारत टैरिफ घटाने को तैयार, इससे देश को कितना नुकसान; हमारी जिंदगी पर क्या असर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का कहना है कि भारत अब अपने टैरिफ में बहुत कटौती करने को तैयार है, क्योंकि कोई उनके कारनामों की पोल खोल रहा है। ट्रम्प लगातार 100% टैरिफ लगाने के लिए भारत का नाम उछालते रहे हैं।