KGMU में HOD-VC विवाद में नया मोड़:महिला प्रोफेसर ने लगाया अभद्रता का आरोप, HOD बोले-मैं पैरा ओलिंपियन, मेहनत के बल पर मिला मुकाम
KGMU के पैथोलॉजी विभाग में 1 करोड़ की मशीन खरीदने को लेकर कुलपति और HOD के बीच हुए विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। HOD पर विभाग की एक महिला प्रोफेसर ने अभद्रता का आरोप लगाया है। इसके बाद मामले की जांच विशाखा कमेटी को सौंपी गई।
इस बीच ICC (इंटरनल कंप्लेंट कमेटी) के पास जांच पहुंचने के बाद आरोपी HOD ने बयान जारी कर खुद को पैरा ओलिंपियन बताते हुए दावा किया कि दिव्यांग होने के बावजूद खुद की मेहनत के बल पर वो आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। ऐसे में इस विवाद ने उनकी छवि को धूमिल किया है।
HOD की तरफ से आई ये दलील
HOD ने महिला प्रोफेसर डॉ. प्रीति अग्रवाल के सभी आरोप को पूरी तरह से निराधार और गलत बताया है। मशीन खरीद को लेकर उन्होंने दावा किया कि पैथोलॉजी विभाग के कुछ फैकल्टी मेंबर मशीनों की खरीद-फरोख्त बिना उनकी सहमति या जानकारी में चिकित्सा विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारियों के साथ मिलकर कर रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि LBC मशीन के टेंडर को बिड खुलने के दिन (19 जनवरी) को इसलिए निरस्त किया था क्योंकि फर्म ने Buy Back का कोई विवरण नहीं दिया था जबकि टेंडर में इक्विपमेंट Buy Back खरीदने का विज्ञापन था। ऐसे में टेंडर स्वतः निरस्त हो गया।
इसके बाद इस मशीन के खरीद की 13 मार्च को बुलाई गई मीटिंग में अवस्थ होने के कारण नहीं जा पाया। इस प्रकरण में कुलपति के शो कॉज नोटिस का मैंने जवाब भी दिया। साथ ही मैंने उन्हें ये सुझाव भी दिया कि वो खुद के निर्णय से खरीद सकती हैं।
HOD की टिप्पणी से आहत थी महिला प्रोफेसर
KGMU के प्रवक्ता डॉ.केके सिंह ने बताया कि HOD ये चाहते थे कोई भी साइन न करें। पर विभाग के कुछ प्रोफेसरों ने मशीन की जरूरत बताते हुए एक लेटर पर साइन कर दिया था। इस पर HOD की तरफ से कुछ अपशब्द का प्रयोग किया गया, यहीं कारण रहा कि प्रोफेसर ने इसकी शिकायत की थी।
पर ICC कमेटी के सामने पीड़ित प्रोफेसर ने बयान देकर ये माना हैं कि मामला यौन शोषण से जुड़ा नहीं था।ऐसे में विशाखा कमेटी के अनुसार इस पर एक्शन ठीक नहीं। पर टिप्पणी को लेकर आरोपी HOD पर वार्निंग लेटर जारी किया जाएगा।
यह था विवाद का कारण
पैथोलॉजी विभाग में 1.2 करोड़ रुपए की सर्वाइकल कैंसर जांच मशीन खरीदने को लेकर दोनों आमने-सामने आए। कुलपति ने बैठक बुलाई तो HOD को बुखार आ गया। वह मेडिकल लीव पर चले गए। अब कुलपति ने उन्हें पत्र लिखकर कठोर कार्रवाई करने की चेतावनी दे दी थी।
मशीन खरीदने से मना करने पर कुलपति ने सर्कुलर जारी कर पैथोलॉजी के HOD डॉ. यूएस सिंह को मीटिंग के लिए बुलाया। इस मीटिंग में उनके अलावा फैकल्टी इंचार्ज इक्विपमेंट सेल को भी बुलाया गया था। मीटिंग में बुलावा आने पर HOD ने अचानक मेडिकल लीव ले ली।
अब वो लेटर जिसे लिखकर कुलपति ने मीटिंग बुलाई…
कुलपति की ओर से जारी सर्कुलर जिसमें मीटिंग के लिए बुलाया गया।
सीने में भारीपन और बेचैनी के कारण छुट्टी पर गए HOD मशीन खरीदने को लेकर मचे घमासान के बीच HOD डॉ. यूएस सिंह ने 13 मार्च से लेकर 19 मार्च तक के लिए मेडिकल लीव पर चले गए हैं। उनके द्वारा भरे गए फॉर्म में ये बताया गया है कि सीने में भारीपन और बेचैनी के कारण उन्हें मेडिकल लीव पर जाना पड़ा।
कुलपति ने HOD को किया तलब अचानक HOD के बदले रुख और तलब करने पर भी मीटिंग में न आने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया। कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद की तरफ से कॉन्फिडेंशियल लेटर जारी कर पैथोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. यूएस सिंह को कठोर कार्रवाई की बात कही गई है। लेटर में ये भी कहा गया है कि उनके द्वारा पहले इस मशीन की जरूरत बताई गई। अब शासन से बजट स्वीकृत हो गया तो अपनी संस्तुति को निरस्त कर रहे हैं। लिक्विड बेस्ड प्रिपरेटरी मशीन की खरीद प्रक्रिया अंतिम दौर में है।
ये ‘वॉर्निंग लेटर’ है जिसे कुलपति की तरफ से HOD को भेजा गया है।
एडमिनिस्ट्रेटिव जजमेंट अच्छा नहीं लेटर में HOD को कहा गया है कि खुद की संस्तुति निरस्त करना उनके खराब एडमिनिस्ट्रेटिव जजमेंट को दर्शाता है। कुलपति की तरफ से इस पूरे मामले में 24 घंटे के अंदर जवाब तलब किया गया है। मालूम हो कि HOD इसी साल जून में रिटायर हो जाएंगे।
एक्विपमेंट सेल के फैकल्टी इंचार्ज को नहीं दिया जवाब कुलपति द्वारा HOD को भेजे गए पत्र में यह भी कहा गया है कि 13 मार्च को एक बेहद जरूरी बैठक के लिए उन्हें बुलाया गया था। इसके लिए उनको डाक, ईमेल और टेलीफोन से भी इन्फॉर्म किया गया। बावजूद इसके वह मीटिंग में भी नहीं आए। ये एक गंभीर लापरवाही का मामला है। इसके अलावा HOD ने फैकल्टी इंचार्ज इक्विपमेंट सेल के 24 फरवरी को भेजे गए लेटर का जवाब भी नहीं दिया।
इसी बीच HOD ने अपनी छुट्टी बढ़वा ली…
मशीन खरीदने की जल्दबाजी के पीछे ये हैं असल कारण दरअसल, 31 मार्च तक ही नई मशीन खरीदने का मौका है। यदि इस दौरान मशीन नहीं खरीदी गई तो फाइनेंशियल ईयर खत्म होने के कारण सरकार की तरफ से जारी किया बजट वापस से सरकारी कोष में चला जाएगा। ऐसे में मशीन खरीदने की प्रक्रिया खटाई में चली जाएगी। यही, कारण है कि विश्वविद्यालय प्रशासन मशीन हर हाल में खरीदने के प्रयास में है।
3 बार टेंडर होने के बाद खरीदी जा रही मशीन जानकारी के मुताबिक, इस मशीन को खरीदने के लिए कुल तीन बार टेंडर किए गए। दिलचस्प बात ये रही कि तीनों टेंडर में सिर्फ एक कंपनी ने ही भाग लिया। आखिरकार अमेरिकन कंपनी को इस मशीन की सप्लाई का टेंडर फाइनली मिला। पर प्रिक्योरमेंट से पहले ही अंतिम दौर में HOD ने आपत्ति लगा दी।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों को बताएगी मशीन अमेरिका में बनी लिक्विड बेस्ड प्रिपरेटरी मशीन बेहद हाईटेक बताई जा रही है। इस मशीन के जरिए सर्वाइकल कैंसर के मरीजों की जांच बेहद आसान तरीके से हो जाएगी। सर्वाइकल कैंसर के लक्षण सामने आने पर मरीज के वेजाइनल स्वाब को स्लाइड में प्रेजेंट किया जाएगा। फिर मशीन में स्लाइड को रखकर सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों की जांच की जा सकेगी। विशेषज्ञ इस मशीन के जरिए इसके मरीजों की शुरुआती जांच कर इलाज शुरू करने की बात कहते हैं।
मशीन खरीदने को नई समिति बनाई, इस बार HOD का नाम हटा इस बीच चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन ने टेंडर के टेक्निकल बिड का नए सिरे से इवैल्यूएशन शुरू किया है। इसके लिए नई समिति का गठन कर दिया है। इसमें माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख और डीन एकेडमिक डॉ. अमिता जैन चेयरपर्सन हैं। इस समिति में 7 अन्य एक्सपर्ट्स को भी शामिल किया गया है। हैरत की बात यह है कि जिस विभाग के लिए मशीन खरीदी जानी है उसके मुखिया का नाम इसमें नहीं है। यानी पैथोलॉजी विभाग के HOD और कार्यवाहक HOD को इस टीम में नहीं शामिल किया गया है।
HOD का दावा- पुरानी मशीन सही है इस बीच पूरे मामले ने एक नया मोड़ सामने आया है। 9 जनवरी को पैथोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. यूएस सिंह ने वित्त अधिकारी को पत्र लिखकर ये कहा था- पहले से स्थापित मशीन सही काम कर रही है। ऐसे में लिक्विड बेस्ड मशीन को खरीदने की टेंडर प्रक्रिया को निरस्त किया जाता है।
113 साल पुराना KGMU का पैथोलॉजी विभाग KGMU का पैथोलॉजी विभाग सबसे पुराने डिपार्टमेंट में से एक है। मेडिकल कॉलेज की स्थापना के दौर में ही इसकी भी नींव रखी गई थी। इसी साल 31 जनवरी 2025 को विभाग ने 113वां स्थापना वर्ष मनाया था। इस कार्यक्रम में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को आना था पर किसी कारणवश वह इस कार्यक्रम में नहीं आ पाए। बाद में प्रति कुलपति और डीन एकेडमिक की मौजूदगी में स्थापना दिवस कार्यक्रम का मनाया गया था। यहां रोजाना 10 हजार से ज्यादा सैंपल लिए जाते हैं। 3 लैब में 24 घंटे जांच की सुविधा है।

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