बीसीए का कोर्स बदला तो पास होने वाले बढ़े, पहली बार रिजल्ट 60% से ज्यादा
इस बार बीसीए फर्स्ट सेमेस्टर का रिजल्ट 60 प्रतिशत से अधिक रहा। पिछले कुछ वर्षों के रिजल्ट को देखा जाए तो पता चलता है कि यूजी फर्स्ट ईयर में आधे से ज्यादा छात्र फेल होते थे। इस बार बीए, बीकॉम, बीएससी के नतीजे भी बेहतर होने की संभावना है। दरअसल, यूजी फर्स्ट ईयर में पिछले साल राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानी एनईपी लागू हुई। इसके अनुसार न सिर्फ कोर्स बदला, इंटर्नल एग्जाम और सवाल पूछने के तरीका में भी बदलाव हुआ। इसका असर रिजल्ट पर दिखा है
जानकारों का कहना है कि एनईपी लागू होने से बीए, बीकॉम, बीएससी, बीसीए समेत अन्य यूजी फर्स्ट ईयर की पढ़ाई में सेमेस्टर प्रणाली लागू हुई है। इसके अलावा कुछ अन्य बदलाव भी हुए। जैसे, कोर्स को 70 व 30 के अनुपात में बांटा गया। 70 अंक की परीक्षा यूनिवर्सिटी से निर्धारित परीक्षा केंद्र में हुई, जबकि 30 अंक इंटर्नल असेसमेंट के लिए थे। दोनों मिलाकर पार्सिंग मार्क्स 40 अंक था। इंटर्नल एग्जाम में कॉलेजों ने असाइनमेंट देकर व अन्य तरीके से टेस्ट लिया।
जानकारों का कहना है कि इंटर्नल एग्जाम में अधिकांश छात्रों ने 22 से ज्यादा अंक हासिल किया। इससे पास होने के लिए निर्धारित अंक जुटाना थोड़ा आसान रहा। इसी तरह सवाल पूछने के तरीके में बदलाव होना भी छात्रों के लिहाज से अच्छा रहा। इस बार वस्तुनिष्ठ व छोटे उत्तर वाले भी प्रश्न पूछे गए। इससे पहले, यूजी फर्स्ट ईयर की परीक्षा एनुअल पैटर्न से होती थी।
इसमें इंटर्नल के 10 प्रतिशत अंक थे, वह भी सिर्फ नियमित छात्रों के लिए ही। इसी तरह 20-20 अंक के पांच दीर्घ उत्तरीय सवाल ही पूछे जाते थे। गौरतलब है कि बीसीए फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा में 884 परीक्षार्थी थे। इनमें से 555 पास हुए हैं। 329 को एटीकेटी मिला है। रिजल्ट से नाखुश होने वाले छात्र 15 दिन के भीतर पात्रतानुसार पुनर्मूल्यांकन व पुनर्गणना के लिए आवेदन कर सकते हैं।
यूजी में बीसीए फर्स्ट ईयर में होते थे सबसे ज्यादा फेल
वर्ष 2016 से लेकर 2024 तक कोरोना काल को छोड़कर बीए, बीकॉम, बीएससी समेत यूजी फर्स्ट ईयर में सबसे कमजोर रिजल्ट बीसीए का ही रहा। पिछले साल यानी 2024 में इसमें 46 प्रतिशत छात्र पास हुए थे। इसको छोड़ दिया जाए तो रिजल्ट 30 प्रतिशत से अधिक नहीं गया। वर्ष 2016 में 26.5 प्रतिशत छात्र पास हुए थे। 2017 में 21.7 प्रतिशत, 2018 में 30, 2019 में 24 प्रतिशत और 2023 में 20 प्रतिशत था। कोरोना काल में छात्रों ने घर बैठे परीक्षा दिया था, तब अधिकांश छात्र पास हुए थे।
इस बार बीसीए फर्स्ट सेमेस्टर का रिजल्ट 60 प्रतिशत से अधिक रहा। पिछले कुछ वर्षों के रिजल्ट को देखा जाए तो पता चलता है कि यूजी फर्स्ट ईयर में आधे से ज्यादा छात्र फेल होते थे। इस बार बीए, बीकॉम, बीएससी के नतीजे भी बेहतर होने की संभावना है। दरअसल, यूजी फर्स्ट ईयर में पिछले साल राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानी एनईपी लागू हुई। इसके अनुसार न सिर्फ कोर्स बदला, इंटर्नल एग्जाम और सवाल पूछने के तरीका में भी बदलाव हुआ। इसका असर रिजल्ट पर दिखा है
जानकारों का कहना है कि एनईपी लागू होने से बीए, बीकॉम, बीएससी, बीसीए समेत अन्य यूजी फर्स्ट ईयर की पढ़ाई में सेमेस्टर प्रणाली लागू हुई है। इसके अलावा कुछ अन्य बदलाव भी हुए। जैसे, कोर्स को 70 व 30 के अनुपात में बांटा गया। 70 अंक की परीक्षा यूनिवर्सिटी से निर्धारित परीक्षा केंद्र में हुई, जबकि 30 अंक इंटर्नल असेसमेंट के लिए थे। दोनों मिलाकर पार्सिंग मार्क्स 40 अंक था। इंटर्नल एग्जाम में कॉलेजों ने असाइनमेंट देकर व अन्य तरीके से टेस्ट लिया।
जानकारों का कहना है कि इंटर्नल एग्जाम में अधिकांश छात्रों ने 22 से ज्यादा अंक हासिल किया। इससे पास होने के लिए निर्धारित अंक जुटाना थोड़ा आसान रहा। इसी तरह सवाल पूछने के तरीके में बदलाव होना भी छात्रों के लिहाज से अच्छा रहा। इस बार वस्तुनिष्ठ व छोटे उत्तर वाले भी प्रश्न पूछे गए। इससे पहले, यूजी फर्स्ट ईयर की परीक्षा एनुअल पैटर्न से होती थी।
इसमें इंटर्नल के 10 प्रतिशत अंक थे, वह भी सिर्फ नियमित छात्रों के लिए ही। इसी तरह 20-20 अंक के पांच दीर्घ उत्तरीय सवाल ही पूछे जाते थे। गौरतलब है कि बीसीए फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा में 884 परीक्षार्थी थे। इनमें से 555 पास हुए हैं। 329 को एटीकेटी मिला है। रिजल्ट से नाखुश होने वाले छात्र 15 दिन के भीतर पात्रतानुसार पुनर्मूल्यांकन व पुनर्गणना के लिए आवेदन कर सकते हैं।
यूजी में बीसीए फर्स्ट ईयर में होते थे सबसे ज्यादा फेल
वर्ष 2016 से लेकर 2024 तक कोरोना काल को छोड़कर बीए, बीकॉम, बीएससी समेत यूजी फर्स्ट ईयर में सबसे कमजोर रिजल्ट बीसीए का ही रहा। पिछले साल यानी 2024 में इसमें 46 प्रतिशत छात्र पास हुए थे। इसको छोड़ दिया जाए तो रिजल्ट 30 प्रतिशत से अधिक नहीं गया। वर्ष 2016 में 26.5 प्रतिशत छात्र पास हुए थे। 2017 में 21.7 प्रतिशत, 2018 में 30, 2019 में 24 प्रतिशत और 2023 में 20 प्रतिशत था। कोरोना काल में छात्रों ने घर बैठे परीक्षा दिया था, तब अधिकांश छात्र पास हुए थे।इस बार बीसीए फर्स्ट सेमेस्टर का रिजल्ट 60 प्रतिशत से अधिक रहा। पिछले कुछ वर्षों के रिजल्ट को देखा जाए तो पता चलता है कि यूजी फर्स्ट ईयर में आधे से ज्यादा छात्र फेल होते थे। इस बार बीए, बीकॉम, बीएससी के नतीजे भी बेहतर होने की संभावना है। दरअसल, यूजी फर्स्ट ईयर में पिछले साल राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानी एनईपी लागू हुई। इसके अनुसार न सिर्फ कोर्स बदला, इंटर्नल एग्जाम और सवाल पूछने के तरीका में भी बदलाव हुआ। इसका असर रिजल्ट पर दिखा है
जानकारों का कहना है कि एनईपी लागू होने से बीए, बीकॉम, बीएससी, बीसीए समेत अन्य यूजी फर्स्ट ईयर की पढ़ाई में सेमेस्टर प्रणाली लागू हुई है। इसके अलावा कुछ अन्य बदलाव भी हुए। जैसे, कोर्स को 70 व 30 के अनुपात में बांटा गया। 70 अंक की परीक्षा यूनिवर्सिटी से निर्धारित परीक्षा केंद्र में हुई, जबकि 30 अंक इंटर्नल असेसमेंट के लिए थे। दोनों मिलाकर पार्सिंग मार्क्स 40 अंक था। इंटर्नल एग्जाम में कॉलेजों ने असाइनमेंट देकर व अन्य तरीके से टेस्ट लिया।
जानकारों का कहना है कि इंटर्नल एग्जाम में अधिकांश छात्रों ने 22 से ज्यादा अंक हासिल किया। इससे पास होने के लिए निर्धारित अंक जुटाना थोड़ा आसान रहा। इसी तरह सवाल पूछने के तरीके में बदलाव होना भी छात्रों के लिहाज से अच्छा रहा। इस बार वस्तुनिष्ठ व छोटे उत्तर वाले भी प्रश्न पूछे गए। इससे पहले, यूजी फर्स्ट ईयर की परीक्षा एनुअल पैटर्न से होती थी।
इसमें इंटर्नल के 10 प्रतिशत अंक थे, वह भी सिर्फ नियमित छात्रों के लिए ही। इसी तरह 20-20 अंक के पांच दीर्घ उत्तरीय सवाल ही पूछे जाते थे। गौरतलब है कि बीसीए फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा में 884 परीक्षार्थी थे। इनमें से 555 पास हुए हैं। 329 को एटीकेटी मिला है। रिजल्ट से नाखुश होने वाले छात्र 15 दिन के भीतर पात्रतानुसार पुनर्मूल्यांकन व पुनर्गणना के लिए आवेदन कर सकते हैं।
यूजी में बीसीए फर्स्ट ईयर में होते थे सबसे ज्यादा फेल
वर्ष 2016 से लेकर 2024 तक कोरोना काल को छोड़कर बीए, बीकॉम, बीएससी समेत यूजी फर्स्ट ईयर में सबसे कमजोर रिजल्ट बीसीए का ही रहा। पिछले साल यानी 2024 में इसमें 46 प्रतिशत छात्र पास हुए थे। इसको छोड़ दिया जाए तो रिजल्ट 30 प्रतिशत से अधिक नहीं गया। वर्ष 2016 में 26.5 प्रतिशत छात्र पास हुए थे। 2017 में 21.7 प्रतिशत, 2018 में 30, 2019 में 24 प्रतिशत और 2023 में 20 प्रतिशत था। कोरोना काल में छात्रों ने घर बैठे परीक्षा दिया था, तब अधिकांश छात्र पास हुए थे।
