काशी में जलती चिता की राख की होली:नरमुंड पहने नागाओं ने किया तांडव, डमरू की गूंज; 25 देशों से पहुंचे 2 लाख टूरिस्ट


जलती चिताएं। रोते-बिलखते लोग। डीजे की तेज आवाज और चिता की राख से होली खेलते हुए नॉनस्टॉप डांस। यह नजारा काशी के मणिकर्णिका घाट पर दिखा। यहां मसाने की होली खेली गई। मंगलवार को रंगोत्सव डमरू वादन से शुरू हुआ।
घाट पर कोई गले में नरमुंडों की माला पहनकर तांडव करता दिखा, तो कोई डमरू की थाप पर नाचता हुआ। नागा संन्यासियों ने तलवारें और त्रिशूल लहराए। जश्न के बीच से शवयात्रा भी गुजरी। भीड़ इतनी कि पैर रखने तक की जगह नहीं दिखी। सड़कें पूरी तरह से राख से पट गईं।
रंग और राख से सराबोर होकर विदेशी पर्यटक भी झूमते दिखे। मंगलवार सुबह 11 बजे शुरू हुई होली शाम 4 बजे तक लगातार चली। 25 देशों से 2 लाख से ज्यादा पर्यटक मसाने की होली खेलने पहुंचे। आम लोग, जो चिता की राख से दूर रहते हैं, आज उसी राख में सराबोर दिखे।
ऐसा पहली बार हुआ कि महिलाएं मसाने की होली में शामिल नहीं हुईं। दरअसल महाकुंभ समापन के बाद भीड़-भाड़ देखते हुए उनके आने पर रोक लगाई गई थी। महिलाओं को नाव से मसाने की होली देखने की गुजारिश की गई थी।
मणिकर्णिका घाट से मसाने की होली की 5 तस्वीरें

मणिकर्णिका घाट पर मसाने की होली में नागा साधु नरमुंड पहने हुए दिखे।

भस्म की होली के बीच शिव-पार्वती का रूप धारण किए हुए कलाकार।

मसाने की होली में भस्म के साथ-साथ गुलाल भी जमकर उड़ा।

शव यात्रा के बीच भी घाट पर भस्म की होली खेली जाती रही।

डमरुओं की गड़गड़ाहट के बीच नृत्य करते दिखे लोग।