पीने का पानी नहीं, चुआं से बुझाते हैं प्यास:दूषित पानी के कारण लोग अक्सर बीमार पड़ रहे, बोरिंग के फेल होने से बढ़ी समस्या

झारखंड के कई इलाकों में आज भी पीने के पानी के लिए लोगों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसा ही हाल है कोडरमा जिले के मरकच्चो प्रखंड स्थित टेपरा गांव का। यहां लोगों को नदी के किनारे चुआं (नदी किनारे बालू हटा पानी निकाला जाना) बनाकर बर्तन से पानी छानना पड़ता है। इसके बाद उसे घर लेकर जाते हैं। यही पानी वो पीने और खाना बनाने में प्रयोग में लाते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, इस दूषित पानी को पीने से अक्सर लोग बीमार पड़ रहे हैं। जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर जंगल और पहाड़ियों के बीच बसे टेपरा गांव में मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं।

नदी किनारे चुआं बना पानी निकालती महिला।
रोजाना पानी के लिए संघर्ष
गांव के सैकड़ों लोगों को रोजाना पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। सुबह होते ही महिलाएं और पुरुष गांव से सटी बड़की नदी में जाते हैं। वहां चुआं बनाकर पानी छानकर बर्तनों में भरते हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि तीन साल पहले गांव में एक बोरिंग कराई गई थी। कुछ दिन तक पानी आया, लेकिन फिर मोटर खराब हो गया। ग्रामीणों ने पेयजल विभाग को सूचना दी। विभाग के कर्मचारी खराब मोटर और सोलर प्लेट को साथ ले गए। तीन साल बीत जाने के बाद भी वे वापस नहीं आए।

बरसात में पानी के साथ और भी समस्याएं होती हैं उत्पन्न
पिछले एक दशक से पर्याप्त पानी नहीं मिलने से यहां के लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। खेती और मजदूरी से जीविका चलाने वाले इन ग्रामीणों को अब प्रशासन से मदद की उम्मीद है।
इधर, गांव की महिलाओं ने बताया कि गर्मी से ज्यादा बरसात में पानी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। उन्होंने बताया कि बरसात में नदी में पानी का स्तर काफी बढ़ जाता है। इससे पीने के पानी के लिए काफी समस्या होती है। इसके अलावे गांव आने वाली कच्ची सड़क पूरी तरह से पानी में डूब जाती है। इससे गांव के बाहर निकलना काफी दूभर हो जाता है।

लोग चुआं बनाकर पानी छानकर बर्तनों में भरते हैं फिर घर लाते हैं।
कंधे पर लादकर अस्पताल ले जाते हैं मरीज को
वहीं इस दौरान अगर कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो परिवार के लोग उसे या तो खाट के सहारे या तो अपने कंधे पर लादकर अस्पताल ले जाते हैं। ऐसे में उसकी जिंदगी भगवान भरोसे ही रहती है।

ग्रामीणों ने बताया कि तीन साल पहले गांव में एक बोरिंग कराई गई थी, पर अब इसमें भी पानी नहीं आता है।
बेटी की शादी इस गांव के लड़कों से नहीं करना चाहते लोग
पानी और सड़क की समस्या सिर्फ रोजमर्रा की जीवन को ही प्रभावित नहीं कर रही है, बल्कि अन्य कई समस्या भी इससे उत्पन्न हो रही है। गांव के लोगों ने बताया कि पानी और सड़क नहीं होने के कारण हमारे गांव के लड़कों की शादी में काफी दिक्कतें आती हैं। दूसरे गांव के लोग अपनी बेटी की शादी भी यहां कराना उचित नहीं समझते हैं।
डीएफओ से सामंजस्य बना कर पानी के लिए करेंगे उपाय: डीसी
इधर, मामले को लेकर कोडरमा डीसी मेघा भारद्वाज ने कहा कि टेपरा गांव वन क्षेत्र में बसा हुआ है। इसको लेकर वन विभाग द्वारा वहां पर किसी भी प्रकार की नई योजना दिए जाने पर रोक लगी हुई है। बावजूद इसके हम डीएफओ से सामंजस्य स्थापित कर ग्रामीणों के लिए पानी की व्यवस्था कराने में जुटे हुए हैं।