

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का कहना है कि भारत अब अपने टैरिफ में बहुत कटौती करने को तैयार है, क्योंकि कोई उनके कारनामों की पोल खोल रहा है। ट्रम्प लगातार 100% टैरिफ लगाने के लिए भारत का नाम उछालते रहे हैं।
आखिर ये टैरिफ होता क्या है, क्या ट्रम्प के दबाव में भारत सच में इसे घटाने को तैयार हो गया और इसका देश की इकोनॉमी और आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के टैरिफ कटौती को लेकर क्या नया दावा किया है?
जवाब: 7 मार्च 2025 को डोनाल्ड ट्रम्प ने ओवल ऑफिस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दावा किया कि भारत टैरिफ घटाने के लिए तैयार हो गया। ट्रम्प ने कहा, ‘भारत हमसे बहुत ज्यादा टैरिफ वसूलता है। आप भारत में कुछ भी नहीं बेच सकते। हालांकि भारत अब अपने टैरिफ में बहुत कटौती करना चाहता है, क्योंकि कोई (अमेरिका) उनके किए की पोल खोल रहा है।’
ट्रम्प ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘हमारे देश को हर किसी ने लूटा, लेकिन अब यह बंद हो गया है। मैंने अपने पहले कार्यकाल में इसे बंद करवाया था। अब हम इसे पूरी तरह से बंद करने जा रहे हैं, क्योंकि यह बहुत गलत है। अमेरिका को आर्थिक दृष्टिकोण से, वित्तीय दृष्टिकोण से और व्यापारिक दृष्टिकोण से दुनिया के लगभग हर देश ने लूटा है।’
इससे पहले 6 मार्च को ट्रम्प ने कहा था कि,
अमेरिका 2 अप्रैल से भारत पर ‘आंख के बदले आंख’ की तर्ज पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाएगा। इसका मतलब यह कि भारत जितना टैरिफ अमेरिकी कंपनियों से आने वाले सामान पर लगाएगा, अमेरिका भी उतना ही टैरिफ भारतीय कंपनियों के अमेरिका जाने वाले सामान पर लगाएगा।
सवाल-2: क्या भारत सरकार अमेरिकी सामानों पर टैरिफ घटाने के लिए सच में राजी हो गई है?
जवाब: ट्रम्प के टैरिफ घटाने के दावे पर अभी तक भारत सरकार ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि इस बयान पर कोई खंडन भी नहीं आया है।
7 मार्च को विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत, अमेरिका के साथ टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने पर विचार कर रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के मुताबिक, ‘केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल अमेरिका यात्रा पर गए हुए हैं, जहां भारत-अमेरिका के समझौतों को आगे बढ़ाने को लेकर चर्चा करेंगे।’

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल। (फाइल फोटो)
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ घटाने को लेकर चर्चा हुई है, तभी ट्रम्प ने ऐसा बयान दिया है। इससे पहले भी ट्रम्प के दबाव में भारत ने अमेरिकी सामानों पर टैरिफ घटाने के संकेत देने शुरू कर दिए थे। जैसे…
- 1 फरवरी को पेश हुए बजट में भारत ने अमेरिका से आने वाले सामान जैसे- 1600cc से कम इंजन की मोटरसाइकिल, सैटेलाइट के लिए ग्राउंड इंस्टॉलेशन और सिंथेटिक फ्लेवरिंग एसेंस जैसे सामानों पर टैक्स घटाने का ऐलान किया था।
- 40,000 डॉलर यानी 35 लाख से अधिक कीमत वाली कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी 125% से घटाकर 70% कर दी गई है और लिथियम-ऑयन बैटरी पर टैरिफ खत्म कर दिया गया है।
- अमेरिकी बोरबॉन व्हिस्की पर टैरिफ को 150% से घटाकर 100% कर दिया।

पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे में कई बातों पर सहमति बनी। 13 फरवरी 2025 को ओवल ऑफिस में डोनाल्ड ट्रम्प, नरेंद्र मोदी, एस जयशंकर और अन्य ऑफिशियल्स।
सवाल-3: टैरिफ आखिर होता क्या है और कैसे काम करता है?
जवाब: टैरिफ एक तरह का बॉर्डर फीस या टैक्स होता है, जो कोई भी देश विदेशों से अपने यहां आने वाले सामान पर लगाता है। इसे घटा-बढ़ाकर ही देश आपस में व्यापार को कंट्रोल करते हैं।
मान लीजिए भारत में तैयार एक डायमंड अमेरिका में 10 लाख रुपए में बिकता है। अगर ट्रम्प ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया तो उस डायमंड की कीमत सीधे 15 लाख रुपए हो जाएगी। दाम बढ़ने से अमेरिका में भारत के डायमंड की खपत कम हो जाएगी।
कोई देश टैरिफ बढ़ाता है तो उसके घरेलू मार्केट में विदेशी सामान महंगे हो जाते हैं। इससे सरकार की कमाई भी बढ़ती है। साथ ही विदेशी सामान की खपत कम होती है और घरेलू कंपनियों के सामान की खपत बढ़ती है। इस तरह सरकार घरेलू प्रोडक्शन को बढ़ावा देती है।
उदाहरण के तौर पर चीन की कंपनियां मोबाइल फोन बनाती हैं। यह कंपनी अपने फोन अमेरिका बेचने पहुंचती है, लेकिन अमेरिका में भी बहुत सारी कंपनियां फोन बनाती हैं। अगर चीनी कंपनी वहां अपने सस्ते और आकर्षक फोन बेचना शुरू कर दे तो अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होगा। इसके साथ ही सरकार के रेवेन्यू पर भी असर पड़ेगा।
ऐसे में रेवेन्यू हासिल करने और घरेलू कंपनियों को बचाने के लिए सरकार चीनी मोबाइल कंपनियों पर टैरिफ लगाएगी। इससे चीनी फोन महंगे हो जाएंगे और फोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनियां उनका मुकाबला कर पाएंगीं।
कोई देश एकतरफा टैरिफ न बढ़ा दे, इसके लिए सभी देश विश्व व्यापार संगठन के साथ बातचीत करके एक रेट तय करते हैं।
सवाल-4: ये रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है, जिसकी धमकी ट्रम्प लगातार दे रहे हैं?
जवाबः ट्रम्प ने घोषणा की है कि दोस्त हो या दुश्मन, सब पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाएंगे। रेसिप्रोकल यानी तराजू के दोनों पलड़े को बराबर कर देना।
आसान भाषा में समझें तो अगर पलड़े के एक तरफ 1 किग्रा भार है, तो दूसरी तरफ भी 1 किग्रा वजन रखकर बराबर कर देना। यानी जितना टैरिफ दूसरे देश अमेरिका से आयात किए उत्पादों पर लगाते हैं, उतना ही अमेरिका अब उन देशों से आयात किए सामान पर लगाएगा।
अगर भारत अमेरिका के जूतों पर 26.1% टैरिफ लगाता है तो अमेरिका भी भारत से आयात जूतों पर इतना ही टैरिफ लगाएगा।
JNU के रिटायर्ड प्रोफेसर अरुण कुमार कहते हैं, ‘वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन यानी WTO ने कम विकसित देशों को यह छूट दी थी कि वह ज्यादा विकसित देशों पर ज्यादा टैरिफ लगा सकते हैं, जिससे उनके देश के गरीब लोगों को नुकसान न पहुंचे, लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प ने WTO के आदेश को मानने से इनकार कर दिया। ट्रम्प यहां अपनी मर्जी चलाकर टैरिफ रेट तय करना चाहते हैं।’
सवाल-5: अगर भारत अमेरिकी सामानों पर टैरिफ कम करता है, तो आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा?
जवाब: JNU के रिटायर्ड प्रोफेसर और अर्थशास्त्री अरुण कुमार के मुताबिक, ‘अगर भारत ने टैरिफ कम कर दिया तो इसका सीधा असर किसान, गरीब मजदूर और असंगठित क्षेत्रों पर पड़ेगा। टैरिफ कम करने से विदेशी चीजें सस्ती हो जाएंगी और भारत में निर्मित होने वाले सामान की पूछ-परख खत्म हो जाएगी।’
उदाहरण से समझें तो भारत का किसान सेब उगाता है, जिसे वो बाजार में बेच कर पैसा कमाता है। अगर कम टैरिफ की वजह से अमेरिका भी भारत में सेब बेचने लगा तो मार्केट में घरेलू सेब को चुनौती मिलने लगेगी। लोग कम कीमत पर विदेशी सेब खरीदने लगेंगे। इससे सेब खरीदने और खाने वाली मिडिल क्लास को तो फायदा होगा, लेकिन सेब उत्पादक और बेचने वाले किसान को नुकसान होगा।
अरुण कुमार ने कहा,
भारत सरकार जितना टैरिफ कम करेगी उतना ही आम आदमी को नुकसान होगा। इससे बेरोजगारी बढ़ेगी और नौकरियां खत्म हो जाएंगी। भारत में इम्पोर्ट बढ़ने का मतलब प्रोडक्शन कम होना। इससे गरीबों की संख्या में बढ़ोतरी होगी और अमीरों को फायदा होता रहेगा।
सवाल-6: अगर भारत अमेरिकी सामानों पर टैरिफ कम करता है, तो इकोनॉमी पर क्या इम्पैक्ट पड़ेगा?
जवाब: विदेश मामलों के जानकार और जेएनयू के प्रोफेसर राजन कुमार का कहना है, ‘भारत और अमेरिका के बीच करीब 42 बिलियन डॉलर यानी करीब 3.6 लाख करोड़ रुपए का ट्रेड होता है। ऐसे में अगर भारत टैरिफ कम कर भी देता है, तो इससे देश की इकोनॉमी पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। दोनों देशों के बीच 35 लाख करोड़ रुपए को लेकर ही समझौता है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल टैरिफ पर चर्चा करने के लिए अमेरिका गए हैं, इसलिए इस मसले पर खुलकर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।’
वहीं, ग्लोबल फाइनेंशियल ग्रुप नोमुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ से बचने के लिए भारत 30 से अधिक वस्तुओं पर टैरिफ कम कर सकता है। इससे अमेरिकी सामान भारत में सस्ता हो सकता है। इसके अलावा अमेरिकी रक्षा और ऊर्जा उत्पादों की अपनी खरीद बढ़ा सकता है।
अमेरिका ने 2024 में भारत को 42 बिलियन डॉलर (करीब 3.6 लाख करोड़ रुपए) का सामान बेचा है। इसमें भारत सरकार ने लकड़ी के उत्पादों और मशीनरी पर 7%, फुटवियर और ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट्स पर 15% से 20% तक और फूड प्रोडक्ट्स पर 68% तक टैरिफ वसूला है। अमेरिका का कृषि उत्पादों पर टैरिफ भारत के 39% की तुलना में 5% है।
बजट 2025 में, सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा और हाई-एंड मोटरसाइकिल समेत कई उत्पादों पर आयात शुल्क कम कर दिया था। अब, भारत ट्रेड रिलेशन्स को पहले की तरह बनाए रखने के लिए लग्जरी व्हीकल्स, सोलर सेल्स और केमिकल्स पर टैरिफ में और कटौती पर विचार कर रहा है। टैरिफ घटाने से भारत की अर्थव्यवस्था पर 4 बड़े इम्पैक्ट होंगे…
1. भारतीय कंपनियों का कॉम्पिटिशन बढ़ेगा: अमेरिका पर टैरिफ घटाने से इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का इम्पोर्ट बढ़ेगा। भारतीय कंपनियों के मुकाबले विदेशी ब्रांड्स को बढ़त मिलेगी। इसके अलावा भारतीय ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को भी नुकसान हो सकता है।
2. इम्पोर्ट बढ़ सकता है: अगर भारत अमेरिकी सामानों पर टैरिफ घटाता है, तो अमेरिकी चीजें भारतीय बाजार में सस्ती हो जाएंगी। इससे इन सामानों का इंपोर्ट बढ़ सकता है।
3. रुपया कमजोर हो सकता है: ज्यादा इम्पोर्ट का मतलब डॉलर की ज्यादा डिमांड। इससे रुपया कमजोर होगा और भारत का इम्पोर्ट बिल बढ़ जाएगा। इसका मतलब अब अमेरिका से सामान खरीदने के लिए ज्यादा पैसे चुकाने होंगे।
4. विदेशी निवेश घटेगा: अगर भारत टैरिफ कम करता है, तो अमेरिकी कंपनियां हाई टैरिफ से बचने के लिए भारत में अपने प्रोडक्शन पर जोर नहीं देंगी। इससे फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट यानी FDI घटेगा।