₹30 रोज मिलते थे, अब 35 लाख की मालकिन:श्योपुर की सुनीता बोलीं- मुझे राजा बनने का बड़ा शौक; मंच पर खिलखिला उठे CM


मध्यप्रदेश के श्योपुर के छोटे से गांव में जन्मी। 13-14 साल की उम्र में शादी हो गई। दिनभर कड़ी धूप में मजदूरी करती और 30 रुपए मिलते थे। इसमें न खुद का पेट भरता था, न बच्चों का। अब 35 लाख की प्रॉपर्टी की मालकिन हूं। जमीन के 3 बड़े प्लॉट हैं। चार पहिया गाड़ी भी खरीद ली है। 5 हजार महिलाएं मुझसे जुड़ी हैं।
ये कहना है श्योपुर की सुनीता आदिवासी का। 41 साल की सुनीता महिला दिवस पर भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर (मिंटो हॉल) में हुए कार्यक्रम में शामिल होने आई थीं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित स्व-सहायता सम्मेलन में जब उन्हें मंच पर बोलने का मौका मिला तो 1-2 मिनट नहीं, वह पूरे 8 मिनट तक बोलती रहीं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, निर्मला भूरिया समेत सांसद, विधायक, अफसर और प्रदेशभर से आई महिलाएं उन्हें सुनती रहीं। सीएम डॉ. यादव सुनीता की दास्तां सुनकर खिलखिला उठे। वहीं, मंदसौर की अनामिका जैन के जज्बे को भी सलाम किया।

सुनीता ने करीब 8 मिनट का भाषण दिया। यह समय सीएम और मंत्रियों के भाषण से भी ज्यादा था।
भरपेट खाना नहीं मिलता था, पति को शराब की लत लगी थी सुनीता ने कहा- अभी मेरी उम्र 41 साल है। 14 साल की उम्र में 1997 में श्योपुर के ही एक गांव में शादी हुई। सहरिया जनजाति से हूं। ससुराल में हाथ भर घूंघट करके ही घर से बाहर निकलती थी। शादी के कुछ दिन तक सब ठीक चला, लेकिन पति को शराब की लत लग गई। गांव में शराब कोई नहीं खरीदता। खुद महुए से बनाते हैं। पति कभी बाल पकड़कर खींचता तो कभी मारपीट करता।
मैं सिर्फ 5वीं तक पढ़ी थी, लेकिन फिर सोचा कि शराबी पति के कारण अपना जीवन क्यों बर्बाद करूं। इसके बाद मैंने उससे पीछा छुड़ाकर वहां से मायके जाने का फैसला किया। पति खुद शराब पीकर पड़ा रहता था। जब मैं मजदूरी करके घर लौटती, तो वह मेरी कमाई का आधा हिस्सा छीन लेता था।
गरीबी इतनी थी कि भरपेट खाना भी नहीं मिलता था। 3 बच्चे भी हो गए। दिनभर 30 रुपए में मजदूरी करती और बच्चों को पालती थी। वर्ष 2014 की बात है। गांव में एक पेड़ के नीचे कुछ महिलाएं बैठी थीं। मैंने पूछा तो बताया कि आजीविका मिशन समूह की मीटिंग है। जिसमें 10 से 12 महिलाओं का ग्रुप होता है।
हर महीने 100 रुपए जमा करते हैं। वहीं, जरूरत के हिसाब से बैंक से लोन भी लेते हैं। मैं भी ग्रुप में जुड़ गईं। मुझे राजा बनने का बड़ा शौक है। जब समूह के चुनाव हुए तो मैं अध्यक्ष के लिए उतर गईं। अब तक 3 चुनाव लड़कर अध्यक्ष चुनी जा चुकी हूं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जब मंच पर बोलने लगे तो सुनीता की बातें याद कर खिलखिला उठे।
सपने में भी नहीं सोचा था कि इतना मिलेगा सुनीता ने बताया- समूह से जुड़ने के कुछ साल में ही लोन ले लिया। पहले घर में चक्की लगाई। फिर 16 लाख रुपए की चार पहिया गाड़ी ले ली। समूह के नाम पर ट्रैक्टर भी खरीद लिया। पिछले साल ही 8 लाख रुपए में प्लॉट खरीदा था। अभी 5 लाख रुपए का प्लॉट लेकर आई हूं।
श्योपुर में मेडिकल कॉलेज के पास ही प्लॉट है। एक प्लॉट बस स्टैंड पर 5 लाख रुपए का लिया है। अब 30-35 लाख रुपए की प्रॉपर्टी की मालकिन हूं। 2014 से पहले कुछ नहीं था। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतना मिलेगा।
परिवार से मिलवा दीं 40 विक्षिप्त महिलाएं सीएम डॉ. यादव ने मंच से मंदसौर की अनामिका जैन को भी सम्मानित किया। उन्हें रानी अवंतीबाई वीरता पुरस्कार 2024 मिला। साथ में पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया भी थे। मंच पर ही सिसौदिया ने अनामिका के संघर्ष की कहानी सीएम को बताई। यह सुन सीएम डॉ. यादव ने हाथ जोड़ अनामिका को प्रणाम भी किया।