2027 को साधते हुए BJP ने बनाए जिलाध्यक्ष:जातीय समीकरण साधने में सफल; कार्यकर्ताओं में पकड़ से ज्यादा जातिगत मायने रहे हावी


जिलाध्यक्ष चुनाव में भाजपा ने इस बार जातिगत समीकरण जमकर साधा। सीसामऊ सीट से हार का सबक लेकर भाजपा ने इस बार कानपुर में एससी वर्ग को प्राथमिकता देते हुए ग्रामीण जिले में उपेंद्र नाथ पासवान को उतारा। जबकि उत्तर में ब्राह्मण हावी होने के नाते ब्राह्मण चेहरे के रूप में अनिल दीक्षित को उतारा है। दक्षिण में शिवराम सिंह को रिपीट कर दिया गया।
एक तीर से साधे दो निशाने भाजपा ने इस बार एक तीर से दो निशाने साधे हैं। जातिगत समीकरण के आधार पर सभी वर्ग की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। इसके साथ ही 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भी पार्टी ने दूरदर्शिता दिखाई है।

उपेंद्र पासवान को जिलाध्यक्ष बनाकर पार्टी ने एससी, एसटी वर्ग की नाराजगी दूर की है।
2027 को देखते हुए साधे गए समीकरण कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में इस बार पहले से ही पार्टी ने तय किया था कि 2 एससी, 2 महिला और 2 पद ओबीसी वर्ग को दिए जाने हैं। कानपुर ग्रामीण में इस बार दिनेश कुशवाहा को बदलते हुए उनकी जगह एससी जिलाध्यक्ष को बनाकर एससी, एसटी वर्ग को मनाने की कोशिश की गई है।
एससी वर्ग की वजह से हारे थे सीसामऊ पार्टी ने पूरी ताकत लगाने के बाद भी सीसामऊ सीट हार गई थी। सीसामऊ में मुस्लिम वोटर्स के बाद सबसे ज्यादा एससी, एसटी वोटबैंक था, लेकिन भाजपा से उनसे दूरियां बनी रहीं और नतीजतन भाजपा सीसामऊ चुनाव हार गई। पार्टी ने इस बार गंभीरता से स्थिति को भांपा और उपेंद्र पासवान को जिलाध्यक्ष बनाया।
कार्यकर्ताओं में पकड़ बनानी होगी भाजपा ने पुराने कार्यकर्ता अनिल दीक्षित को जिलाध्यक्ष बनाया। पार्टी में पुराने कार्यकर्ता और ब्राह्मण होने के नाते उनकी पहचान है। लेकिन उत्तर जिले को चलाने के लिए कार्यकर्ताओं के बीच पकड़ बनाने में उन्हें समय लग सकता है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सांसद रमेश अवस्थी और क्षेत्र अध्यक्ष प्रकाश पाल का करीबी होना इसके पीछे बड़ा कारण बताया जा रहा है।

जिलाध्यक्ष बनने के बाद पार्टी कार्यालय में जिलाध्यक्षों का किया गया स्वागत।
शिवराम की नजदीकियां काम आईं कानपुर दक्षिण जिले में रिपीट हुए शिवराम सिंह के बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें क्षेत्रीय अध्यक्ष समेत अन्य बड़े नेताओं से निकटता का लाभ मिला है।
दक्षिण जिले का कार्यालय भी वर्तमान में शिवराम सिंह के आवास पर ही है। दक्षिण और क्षेत्रीय कार्यालयों के कार्यक्रम में शिवराम सिंह मजबूती से अपनी मौजूदगी को दर्ज कराते रहे हैं, ऐसे में उनके रिपीट होने की संभावना पहले ही जताई जा रही थी।
इन 5 प्रमुख कारणों से बनाए गए जिलाध्यक्ष
कानपुर उत्तर: अनिल दीक्षित
- भाजपा के करीब 35 साल पुराने कार्यकर्ता हैं, पार्टी में अन्य पदों पर भी रह चुके हैं।
- पिछली बार अनिल दीक्षित का नाम ऊपरी क्रम पर था लेकिन तब दीपू पांडेय को मौका मिला था।
- कार्यकर्ताओं में पकड़ है, विनम्र होने के साथ ही ब्राह्मण वोटबैंक में अच्छी पकड़ रखते हैं।
कानपुर दक्षिण जिलाध्यक्ष- शिवराम सिंह
- क्षेत्रीय अध्यक्ष समेत अन्य बड़े नेताओं से निकटता का लाभ मिला है।
- दक्षिण जिले का कार्यालय भी वर्तमान में शिवराम सिंह के आवास पर ही है।
- बीजेपी के बड़े कार्यक्रमों में प्रमुख रूप से दिखाई देते हैं, कार्यकर्ताओं में पकड़ मजबूत।
कानपुर ग्रामीण जिलाध्यक्ष- उपेंद्र नाथ पासवान
- उपेंद्र नाथ ने घाटमपुर विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल कर भाजपा का पहली बार परचम लहराया।
- जीत के बावजूद अगले विधानसभा चुनाव में टिकट काट दिया गया। उनके कार्यकर्ताओं में नाराजगी दिखी थी।
- उपेंद्र पासवान की ग्रामीण जिले में ताजपोशी कर उस नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया गया है।