आतंकी हैंडलर्स की सेफ पनाहगाह मुरादाबाद की हाईराइज बिल्डिंगें:बगैर पड़ताल मिल जाता है फ्लैट,किराएदारों की भी कोई जांच नहीं; संभल हिंसा के बाद एजेंसियां अलर्ट

मुरादाबाद में कुकरमुत्तों की तरह जगह-जगह उग आईं हाईराइज बिल्डिंगें आतंकी संगठनों के हैंडलर्स और उनके स्लीपिंग सेल्स के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन सकती हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने इसकी आशंका जाहिर की है। संभल हिंसा के बाद खासतौर पर इसे लेकर एजेंसियों ने चिंता जाहिर की है।
दरअसल खुफिया एजेंसियों की फिक्र इस बात को लेकर है कि मुरादाबाद की हाईराइज बिल्डिंगों में फ्लैट खरीदने वालों से लेकर यहां किराए पर फ्लैट लेने वालों तक के बैकग्राउंड की कोई जांच पड़ताल नहीं होती। पैसा मिलने पर बिल्डर किसी को भी फ्लैट बेच देते हैं।
इसी तरह यहां पैसा देकर आसानी से किसी भी हाईराइज बिल्डिंग में फ्लैट मिल सकता है। किराएदार कौन है, कहां से आया है, उसका अतीत क्या है ? इस तरह की कोई जांच पड़ताल नहीं होती है। मुरादाबाद की हाईराइज बिल्डिंगें सिक्योरिटी के मानक भी पूरे नहीं करतीं, ऐसे में ये आसानी से आतंकी हैंडलर्स की सुरक्षित पनाहगाह बन सकती हैं।
संभल हिंसा के बाद से एजेंसियों की इसे लेकर फिक्र बढ़ गई है। मुरादाबाद शहर ही नहीं पूरे मंडल का पुराना आतंकी कनेक्शन रहा है। मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा और संभल से तमाम आतंकी संगठनों के आतंकी पूर्व में पकड़े जा चुके हैं।
ऐसे में हाईराइज बिल्डिंगो के लचर नियम आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल्स और हैंडलर्स के लिए सुरक्षित ठिकाने बन सकते हैं।
बड़े शहरों में हाईराइज बिल्डिंगों में ये हैं नियम
दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में फ्लैट किराए पर देने से पहले, एजेंसियां और आरडब्ल्यूए (RWA) किराएदार की पहचान, वित्तीय स्थिति और पुलिस वेरिफिकेशन जैसी जांचें करती हैं, ताकि संपत्ति और बिल्डिंग में रह रहे अन्य निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
एजेंसियों द्वारा की जाने वाली जांच
किराएदार की पहचान की जांच
- पहचान के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी या पासपोर्ट जैसी वैध दस्तावेजों की जांच की जाती है। चेक किया जाता है कि प्रस्तुत किए गए दस्तावेज वास्तव में सही हैं भी या नहीं।
- किराएदार का पता और संपर्क विवरण चेक किया जाता है। इसके लिए ज्यादातर सोसाइटी प्राइवेट डिटेक्टिव कंपनियों की मदद लेती हैं। पुलिस वेरिफिकेशन के अतिरिक्त एजेंसी से भी फ्लैट लेने वाले के एड्रेस की जांच कराई जाती है।
वित्तीय स्थिति की जांच
- किराएदार की आय का प्रमाण, जैसे कि वेतन पर्ची या बैंक स्टेटमेंट आदि भी जांचा जाता है।
- किराएदार के क्रेडिट स्कोर या वित्तीय पृष्ठभूमि की जांच भी कराई जाती है।
पुलिस वेरिफिकेशन
- किराएदार का पुलिस वेरिफिकेशन कराया जाता है ताकि उसके आपराधिक इतिहास का पता चल सके।
- पुलिस वेरिफिकेशन का फॉर्म संबंधित राज्य की पुलिस की वेबसाइट पर उपलब्ध होता है। वेरिफिकेशन की रिपोर्ट मिले बगैर फ्लैट का एग्रीमेंट नहीं किया जाता है।
आरडब्ल्यूए द्वारा की जाने वाली जांच
किराएदार की जानकारी:
- किरायेदार का नाम, पता, और संपर्क विवरण।
- किराएदार के परिवार के सदस्यों की जानकारी।
किराएदार का व्यवहार
- किराएदार के व्यवहार की जांच की जाती है। ताकि वो सोसायटी के नियमों का पालन करे और बाकी निवासियों को किसी तरह की तकलीफ न हो।
- किराएदार का अन्य निवासियों के साथ व्यवहार परखा जाता है। उनसे फीडबैक लेकर ही उसे सोसाइटी में आगे रहने की मंजूरी दी जाती है।
किराएदार की संपत्ति के प्रति जिम्मेदारी
- किराएदार द्वारा सोसाइटी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की संभावना तो नहीं है। इसकी भी जांच की जाती है।
- किराएदार द्वारा सोसाइटी की संपत्ति की देखभाल और रखरखाव किया जाता है या नहीं, इसे भी देखा जाता है।

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