मां बोली-बेटे की तेरहवीं के लिए कमाने गुजरात गए थे:लेकिन सब खत्म हो गया; पटाखा फैक्ट्री विस्फोट में एक परिवार के 11 की मौत
ये दर्द है गीताबाई का। हरदा के हंडिया की रहने वाली गीताबाई के तीन पोते समेत परिवार के 11 लोग गुजरात के बनासकांठा के पास डीसा में मजदूरी करने गए थे। इनमें विष्णु (22), राजेश (25) और बिट्टू (15) तीन सगे भाई थे। मंगलवार सुबह 8 बजे पटाखा फैक्ट्री में बॉयलर में विस्फोट में इन्होंने अपनी जान गंवा दी। 8 लोगों के शव मिल चुके हैं। परिवार के तीन अभी भी लापता हैं।
हादसे में देवास जिले के रहने वाले 10 मजदूरों की भी मौत की पुष्टि की गई है। 9 मजदूर संदलपुर और एक खातेगांव का रहने वाला था। जबकि ठेकेदार लापता है। 3 की हालत गंभीर है। वहीं, 5 मजदूर मामूली रूप से घायल हैं।
पहले 21 मजदूरों की मौत की जानकारी मिली थी। मंगलवार सुबह तक 20 के शव मिले हैं। इनमें से 18 लोगों की पहचान हो गई है। दो शवों की हालत बुरी है कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही है। माना जा रहा है कि ये शव हंडिया के परिवार के लापता सदस्यों के हैं।
पटाखा बनाने वाली इस फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट के बाद तकरीबन आधी बिल्डिंग ही जमींदोज हो चुकी है।
50 मीटर दूर तक बिखर गए थे शरीर के टुकड़े जिस समय हादसा हुआ, उस दौरान मजदूर पटाखा बनाने का काम कर रहे थे। विस्फोट इतना भीषण था कि कई मजदूरों के अंग 50 मीटर दूर तक बिखर गए। फैक्ट्री के पीछे खेत में भी कुछ मानव अंग मिले हैं। फायर ब्रिगेड को आग पर काबू पाने में 5 से 6 घंटे लगे।
CM ने की सहायता राशि देने की घोषणा हादसे पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने दुख जताया है। उन्होंने मृतकों के परिजन को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपए आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। गुजरात सरकार ने भी मृतकों के परिजन को 4-4 लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपए आर्थिक सहायता देने की बात कही है। हरदा विधायक डॉ. आरके दोगने ने मृतकों के परिवार को विधायक निधि से 20-20 हजार रुपए देने की घोषणा की है। वहीं, प्रधानमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिजन को 2-2 लाख रुपए और घायलों को 50-50 हजार रुपए दिए जाएंगे।
बनास मेडिकल कॉलेज के बेड पर एकसाथ रखीं मजदूरों की लाशें।
परिजन बोले- अच्छी मजदूरी की उम्मीद में गए थे गुजरात हादसे में घायल विजय के भाई वीरेंद्र काजवे ने बताया कि कोलीपुरा टप्पर में रहने वाली लक्ष्मीबाई सभी को घर लेने आई थी। इसके बाद सभी गुजरात काम करने गए थे। वह पहले भी कोलीपुरा में पटाखा फैक्ट्री में मजदूरी करता था। हरदा में पटाखा फैक्ट्री में ब्लॉस्ट के बाद जिले की सभी फैक्ट्रियां बंद हो गई थीं। कुछ दिनों पहले लक्ष्मी बाई उन्हें अच्छी मजदूरी मिलने की बात कहकर अपने साथ गुजरात ले गई थी। भाई गंभीर रूप से घायल हो गया है। उसका गुजरात के अस्पताल में उपचार जारी है।
हंडिया में जब मजदूरों की मौत की खबर पहुंची तो परिजन रो पड़े।
MP से मंत्री और अफसरों की टीम गुजरात रवाना गुजरात में पटाखा फैक्ट्री में हुए हादसे के बाद राज्य सरकार की ओर से अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री नागर सिंह चौहान बनासकांठा के लिए रवाना हो गए हैं। वहीं, हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह ने बताया कि मृतकों की शिनाख्त और घायलों की मदद के लिए अफसरों की टीम भेजी है।
इसमें संयुक्त कलेक्टर संजीव नागू, DSP (अजाक) सुनील लाटा, तहसीलदार टिमरनी डॉ. प्रमेश जैन, नायब तहसीलदार देवराम निहरता और रहटगांव के DSP मानवेंद्र सिंह भदौरिया शामिल हैं। इधर, देवास से भी अफसरों का एक दल वहां पहुंच रहा है।
घायल बोला- धमाका हुआ और बेहोश हो गए दैनिक भास्कर की टीम ने पालनपुर के बनास मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भेजे गए विजय नाम के एक मजदूर से बात की। विजय ने कहा, ‘हम फैक्ट्री के अंदर काम कर रहे थे, तभी अचानक ब्लास्ट हुआ। हमें पता ही नहीं चला कि आखिर क्या हुआ था, बहुत तेज धमाका हुआ और हम बेहोश हो गए। जब मैंने अपनी आंखें खोलीं तो मेरे चारों ओर आग थी। हम झुलसी हालत में ही किसी तरह फैक्ट्री से बाहर भागे।
बॉयलर ब्लास्ट में तीन मजदूर 40 प्रतिशत से ज्यादा झुलस गए हैं।
हादसे में बेटे-बहू, पोती को खोया‘ मैं कमाने के लिए गुजरात जा रहा हूं, एक महीने में लौट आऊंगा, परिवार में सबका ध्यान रखना।’ गुजरात जाने से पहले देवास के संदलपुर के रहने वाले राकेश ने अपनी मां शांताबाई से आखिरी बार यह बात कही थी। इसके चार दिन बाद उसकी मौत की खबर मिली। शांताबाई बेटे, पोती किरण और बहू डाली को याद करते हुए फफक पड़ी।
हरदा फैक्ट्री ब्लास्ट में बच गया था राकेश हादसे में संदलपुर के राकेश भोपा, उसकी पत्नी डाली बाई, बच्ची किरण (7) की मौत हो गई है। छोटी बेटी नैना (4) घायल है। राकेश के परिवार में पिता लकवाग्रस्त है। बड़े भाई संतोष को गंभीर बीमारी है। हाल ही में मां शांताबाई के पेट से 5 किलो की गांठ निकाली गई थी। इन सभी के इलाज के लिए परिवार ने कर्ज लिया था।
शांताबाई ने बताया कि बेटे को बाहर काम पर जाने से मना किया था। लेकिन उसका कहना था कि कर्ज चुकाने के लिए ज्यादा कमाई करनी होगी। राकेश पिछले साल हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट से बच गया था। उस दिन वह फैक्ट्री नहीं गया था।
खत्म हो गया लखन का परिवार संदलपुर की लालखेड़ी मोहल्ला भोपा कॉलोनी में भोपा समाज के करीब 15-20 घर हैं। सात-आठ महीने पहले तक ये लोग वाहन से घूमकर कुकर और गैस सुधारने का काम करते थे। पहली बार गुजरात गए और हादसे का शिकार हो गए।
प्यारेलाल भोपा ने बताया, लखन मेरे काका गंगाराम का लड़का था। एक ही परिवार के छह लोग थे। लखन, उसकी पत्नी सुनीताबाई, बहन राधा और रुकमा, छोटा भाई अभिषेक, मां शायराबाई भी हादसे का शिकार हो गए। गंगाराम के परिवार में कोई नहीं बचा।
लखन और उसकी पत्नी सुनीता भी पटाखा फैक्ट्री में हादसे का शिकार हो गए।
मालिक के बुलावे पर गुजरात गया था पंकज हादसे में देवास के खातेगांव के पंकज सांकलिया की भी मौत हो गई। पहले वह हरदा में पटाखा फैक्ट्री संचालक की गाड़ी चलाता था। धीरे-धीरे उसने पटाखे बनाना भी सीख लिया। 3-4 दिन पहले ही गुजरात की फैक्ट्री के मालिक के बुलावे पर वहां गया था।
खातेगांव विधायक आशीष शर्मा मंगलवार रात को संदलपुर में पीड़ित परिवार से मिले। विधायक ने कहा, ये भी लोग पटाखे बनाने में माहिर थे, इसलिए एक ठेकेदार इन्हें अपने साथ गुजरात की पटाखा फैक्ट्री में काम कराने ले गया था। इसके 3-4 दिन बाद ही हादसा हो गया। फिलहाल हमारी प्राथमिकता यही है कि शवों को सुरक्षित लाकर अंतिम संस्कार कराया जाए।
खातेगांव विधायक आशीष शर्मा ने संदलपुर में पीड़ित परिवार से मिले।
SDM बोलीं- तीन झुलसे, डॉक्टर ने कहा-एक गंभीर गुजरात के डीसा की SDM नेहा पांचाल ने बताया कि घटना में घायल सभी लोगों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फिलहाल 3 लोगों का इलाज चल रहा है। ये लोग 40% से ज्यादा झुलस गए हैं। हादसे को लेकर प्रशासन की ओर से जांच जारी है।
डीसा के सिविल हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट सुनील जोशी ने बताया कि डीसा में पटाखा फैक्ट्री में आग लगने के बाद दो झुलसे मरीजों को यहां लाया गया। एक मरीज 60% से ज्यादा जल गया है और उसकी हालत अत्यंत गंभीर है। एक अन्य मरीज 8 से 10 प्रतिशत तक जला है।
बनासकांठा अवैध पटाखा फैक्ट्री विस्फोट मामले में आरोपी बेटा दीपक और पिता खूबचंद मोहनानी।
फैक्ट्री में पटाखा और खाना साथ बनाते थे पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट का सही कारण सामने नहीं आ पाया है। लेकिन भास्कर पड़ताल में सामने आया कि यहां 28-30 मजदूरों के लिए रसोई भी बनाई गई थी। सुबह महिलाएं यहीं खाना बनाती थीं, जबकि उसी परिसर में सल्फर और नाइट्रेट का विशाल भंडारण था। एक छोटी सी चिंगारी भी भयानक हादसे का कारण बन सकती थी, और हुआ भी यही। किसी वजह से विस्फोटक सामग्री में आग लगी और पूरी बिल्डिंग ध्वस्त हो गई। किसी को भागने का मौका तक नहीं मिला। सभी शव जले हुए और अर्धनग्न हालत में मिले, क्योंकि आग की लपटों ने उनके कपड़े तक जला दिए थे।
खूबचंद सिंधी ने 2021 में अपने बेटे दीपक मोहनानी के नाम पर ‘दीपक ट्रेडर्स’ नाम की यह फैक्ट्री शुरू की थी, जिसे कानूनी शिकंजे से बचाने के लिए शहरी क्षेत्र से दूर स्थापित किया गया। यहां बिना लाइसेंस और अनुमति के एक साल से ‘सुतली बम’ बनाकर राजस्थान और गुजरात तक सप्लाई किए जा रहे थे। सल्फर और नाइट्रेट जैसी ज्वलनशील सामग्री के भारी भंडारण के कारण यह हादसा हुआ। हैरानी की बात यह है कि 12 मार्च को स्थानीय अधिकारियों ने जांच की, पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। अगर फैक्ट्री को सील किया जाता, तो शायद 1 अप्रैल की यह दुर्घटना टल सकती थी।
खूबचंद ने अपनी पत्नी जशोदाबेन के नाम पर जीएसटी नंबर लिया और बैंकिंग लेन-देन भी पत्नी के नाम पर किए जाते थे। विवाह सत्र में आतिशबाजी की मांग अधिक होने पर डुप्लीकेट ब्रांड के पटाखे बेचे जाते थे। घटना के बाद दीपक भाग गया था, लेकिन पालनपुर लोकल क्राइम ब्रांच ने उसे ईडर-साबरकांठा से गिरफ्तार कर लिया।
तीन तस्वीरों में देखिए हादसा…
धमाके के बाद फैक्ट्री के स्लैब ढह गए। कई मजदूर मलबे में दब गए।
मजदूर दो दिन पहले ही यहां पहुंचे थे। यहां पटाखे बनाने के काम में जुटे थे।
धमाका इतना तेज था कि मजदूरों के शरीर के टुकड़े दूर तक बिखर गए।
पटाखे बेचने का लाइसेंस था, बनाने का नहीं गुजरात में दीपक ट्रेडर्स नाम की यह पटाखा फैक्ट्री खूबचंद सिंधी की है। वह इस फैक्ट्री में विस्फोटक लाकर पटाखा बनवाते थे। हालांकि, अब तक की जांच में पता चला है कि कंपनी मालिक के पास केवल पटाखे बेचने का लाइसेंस है, बनाने का नहीं। इसलिए स्थानीय पुलिस आगे की जांच में जुटी है।

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