जल संकट की आहट:धुआं में 8, बरई में 5 मीटर से ज्यादा गिरा भू-जलस्तर, पाटई में कुआं सूखा
गर्मी की दस्तक के साथ ही जलसंकट के आसार नजर आने लगे हैं। पानी के मामले में ड्राय जोन घाटीगांव में तो मार्च में ही मई जैसे हालात बन रहे हैं। यहां पर्याप्त बारिश के बाद भी जलस्तर तेजी से गिर रहा है। दैनिक भास्कर ने ग्राउंड वाटर सर्वे की टीम के साथ इस क्षेत्र के 9 गांवों में पहुंचकर जलस्तर की माप की तो इसमें दो महीने पहले जनवरी की स्थिति से काफी गिरावट मिली।
सबसे ज्यादा भू-जलस्तर धुआं में 8 तो बरई में 5 मीटर से ज्यादा नीचे चला गया है। पाटई में तो कुआं ही सूख गया। वहीं शहरी क्षेत्र में घाेसीपुरा, शीतला लिंक रोड और छत्री मंडी स्थित 3 कुओं में भी जलस्तर गिरा है। हालांकि शहरी क्षेत्र में भूजलस्तर की गिरावट धीमी है।
भूमिगत जल का स्तर जांचने ग्राउंड वाटर सर्वे की टीम साल में चार बार जिले के 100 कुओं की जांच करती है। विभाग की जांच का समय जनवरी, मई, अगस्त व नवंबर में तय है। लेकिन घाटीगांव में पानी संकट गहराने की खबरें मिल रही थीं, इसकी पुष्टि करने के लिए दैनिक भास्कर ने सर्वे टीम को साथ लेकर मार्च के अंतिम दिनों में 29 में से 12 कुओं की ग्राउंड रिपोर्ट की। इंजीनियर एचएस शाक्य व डीपी बामौरिया ने जलस्तर के लिए सरकार द्वारा चिह्नित कुओं का लेवल देखा। टीम के दोनों सदस्यों ने कहा कि पहली बार मार्च में ही कुओं का लेवल इतना गिरा है।
घाटीगांव में मार्च में मई जैसे हालात, शहर में भी गिरा भू-जलस्तर
एक्सपर्ट व्यू – डॉ. शैलेंद्र सिंह कुशवाह, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र
नमी कम, मावठा नहीं होने से उत्पादन पर असर इस बार मावठा नहीं होने व मौसम गर्म रहने के कारण मिट्टी में नमी की मात्रा कम रही। कुछ क्षेत्रों, खासकर वर्षा आधारित जैसे घाटीगांव आदि में इसका असर हुआ है। मौसम में ठंड की अवधि कम होने से गेहूं में कंसे और सरसों में शाखाएं कम बनीं, इस कारण उत्पादन पर असर आया है।
परेशानी: पानी 700 फीट पर भी नहीं, उत्पादन गिरा
^हमारे गांव में पानी की समस्या है। यहां किसान सरसों पैदा करते हैं। खेत में नलकूप तो है पर पानी 700 फीट पर भी नहीं है। कुएं सूख चुके हैं। इस बार 3 बीघा में 15 क्विंटल की बजाय 10 क्विंटल सरसों ही निकली है।| -रामाधार बघेल, किसान दुरसेड़ी
समाधान: धान की जगह मूंग की फसल लें किसान
^ग्रीष्मकालीन धान में पानी की ज्यादा जरूरत होती है। हरसी बांध में पानी कम है। इस वजह से क्षेत्र में जलस्तर नीचे है। ऐसे में किसानों को धान के बदले मूंग की फसल लेना चाहिए। -आरएस शाक्यवार, उप संचालक कृषि
वजह: पाइपों से खींचा पानी, इसलिए सूखे तालाब
घाटीगांव इलाके खासकर पाटई, बन्हेरी आदि में फरवरी में ही पानी की दिक्कत होने लगी थी। इसलिए 300 से ज्यादा किसानों ने फसलों के लिए तालाब में पाइप डालकर पानी लिया। अब उक्त गांवों के तालाब सूख चुके हैं। -गिर्राज तोमर, नलकूप ठेकेदार

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