मुख्य न्यायाधीश बोले-जमानत मिलने पर भी जेल में रहता गरीब:वह सिक्योरिटी जमा नहीं करा पाता; यह सिस्टम का फेल्योर,आज तक इसका हल नहीं निकला

राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि गरीब आदमी जमानत मिलने के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ पाता है। पहले तो वह कोर्ट तक नहीं पहुंच पाता है। अगर कोर्ट में पहुंचने पर उसे बेल मिल जाती है तो भी वह गरीबी के चलते जेल से बाहर नहीं आ पाता है।
सीजे ने कहा- गरीबी की वजह से वह बेल बॉन्ड नहीं भर पाता है, सिक्योरिटी जमा नहीं करा पाता है। इसलिए उसके मामले में जितनी सजा होती है, उससे ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह सिस्टम का फेल्योर है, जिसे आज तक कोई डिटेक्ट नहीं कर पाया।
मुख्य न्यायाधीश रविवार को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से लीगल एड डिफेंस कौंसिल के लिए आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
ऐसा क्या सिस्टम है, जिसे कोई समझ नहीं पाया मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव ने कहा-
आरोपी को किसी मामले में लीगल एड (विधिक सहायता) मिली। बेल का ऑर्डर हो गया, आपने परिजनों को बेल ऑर्डर दे दिया। वह जेल अथॉरिटी के पास पहुंचे। उसके घरवालों ने कहा- हम बेल बॉन्ड नहीं भर सकते हैं। मामला वहीं ठंडा हो गया।
सीजे ने कहा- ऐसा कैसा सिस्टम था कि पूरा सिस्टम इस चीज को समझ नहीं पाया। जेल वाले भी नहीं समझ पाए, परिवार वाले नहीं समझ पाए। हमारे लीगल एड क्लिनिक भी कुछ नहीं कर पाए और वह व्यक्ति पूरी सजा से ज्यादा समय तक जेल में रहा।

कार्यशाला को जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस अनिल उपमन ने भी संबोधित किया।
लीगल एड डिफेंस कौंसिल महत्वपूर्ण कड़ी मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव ने कहा- इसकी कई समस्याएं है। पहला व्यक्ति बाहर नहीं आ पाता है। दूसरा हमारी जेलों में लगातार भीड़ बढ़ रही है। उन्होंने कहा- आप जो लीगल एड डिफेंस कौंसिल है। आपके पास जब कोई केस आता है, तब आप उस पूरे केस में लीगल एड डिफेंस कौंसिल होते हैं, केवल कोर्ट के अंदर नहीं। बल्कि उस पूरे केस में आप उसके घरवालों से कॉन्टैक्ट करते हैं।
सीजे ने कहा-
आपको जेल विजिट करना है, आरोपी से सीधे कनेक्ट रहना है। अगर आपने उसको बेल दिलवाई है, तो आप उसे फॉलो करें कि वह बाहर आ पाया है या नहीं। बाहर नहीं आ पाया है तो क्या प्रॉब्लम है। इसका क्या उपाय हो सकता है। लीगल एड क्लिनिक से बात करके एप्लिकेशन मूव करनी चाहिए।
एमएम श्रीवास्तव ने कहा- कोर्ट को बताना चाहिए कि गरीब व्यक्ति है। 25 हजार रुपए की सिक्योरिटी नहीं दे सकता है। कोर्ट इसे कंसिडर करके आदेश पास कर देगा। एक लीगल एड डिफेंस कौंसिल के तौर पर आप इस सिस्टम का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस पूरे सिस्टम की सफलता आप पर निर्भर करती है।
उन्होंने कहा- विधिक सेवा प्राधिकरण आपको सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध करा सकता है। लेकिन उस गरीब आदमी को रिप्रजेंट आप ही करने वाले हैं। इस मिशन को आपको सेवा मानकर काम करना होगा।