हार्टअटैक है, अस्पताल से निकले तो जिंदा नहीं बचोगे:आयुष्मान मरीजों को ऐसे डराकर पैसे वसूल रहे निजी अस्पताल; हर महीने 10-15 शिकायतें

मेरे पास आयुष्मान कार्ड था। इसके बाद भी मुझे इंदौर के सीएचएल अस्पताल में इलाज के लिए 4 लाख रुपए देने पड़े। पिछले 50 दिनों से मैं पैसा वापस लेने के लिए आयुष्मान और सीएमएचओ दफ्तर के चक्कर काट रहा हूं। आज तक मेरा पैसा वापस नहीं मिला।
ये आपबीती भोपाल के रहने वाले जुबेर मोहम्मद खान की है। जिनके पास आयुष्मान योजना का कार्ड होते हुए भी प्राइवेट अस्पताल ने उन्हें और परिजन को डराकर हार्ट का ऑपरेशन किया। उनसे 4 लाख रुपए नकद लिए जबकि आयुष्मान योजना में हार्ट की बीमारी से जुड़ा अधिकतम पैकेज डेढ़ लाख रु. का है। मरीज के इलाज के बाद ये पैसा सरकार की तरफ से प्राइवेट अस्पताल को दिया जाता है।
आयुष्मान मरीजों को डराकर उनसे पैसे लेने का ये कोई पहला मामला नहीं है। योजना से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक हर महीने ऐसी 10 से 15 शिकायतें आती हैं, यानी 120 से 180 शिकायतें सालाना। बता दें कि प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ इससे पहले आयुष्मान योजना के फर्जी क्लेम की शिकायतें हो चुकी है।
भास्कर ने इस मामले में पीड़ित परिवारों के साथ आयुष्मान योजना से जुड़े अधिकारी और उन अस्पतालों के प्रबंधन से बात की जिन पर पैसे लेने के आरोप हैं।केस1:ऑपरेशन नहीं करोगे तो बचना मुश्किल ये कहानी भोपाल के रहने वाले जुबेर मोहम्मद खान की है। वे बताते हैं- कुछ कदम चलने पर ही मेरी सांस भर जाती थी। मैंने अगस्त 2024 में भोपाल मेमोरियल अस्पताल में जांच कराई तो हार्ट में ब्लॉकेज का पता चला। मेरे पास आयुष्मान कार्ड भी था। परिवार वालों ने कहा- प्राइवेट अस्पताल में अच्छे से ऑपरेशन करा लेते हैं।
हमने इंदौर के सीएचएल अस्पताल में बात की तो मैनेजमेंट ने कहा कि आप आयुष्मान कार्ड लेकर इंदौर आ जाइए, बिना किसी चार्ज के बायपास सर्जरी हो जाएगी। मैं 29 सितंबर 2024 को अस्पताल में एडमिट हो गया। डाक्टरों ने जांच के बाद बताया कि हार्ट केवल 16 पर्सेंट काम कर रहा है, आपका तुरंत ऑपरेशन करना होगा।
जब हमने आयुष्मान कार्ड से ऑपरेशन की प्रोसेस के बारे में बोला, तो अस्पताल मैनेजमेंट ने कहा कि आपका आयुष्मान कार्ड नहीं चलेगा, तुरंत 4 लाख रुपए जमा करने होंगे। हमने कहा कि भोपाल वापस चले जाते हैं, बाद में देखेंगे। अस्पताल मैनेजमेंट ने रिपोर्ट दिखाते हुए कहा- हार्ट तो 16 पर्सेंट ही काम कर रहा है, यहां से बाहर निकले और जरा भी चलना-फिरना हुआ तो बचना मुश्किल है।
इस कदर डरा दिया कि परिवार वालों ने जान जाने के डर से रिश्तेदार, दोस्तों से रुपए उधार लेकर 4 लाख रुपए जमा किए। जैसे ही अस्पताल मैनेजमेंट को पैसा मिला, अगले ही दिन ऑपरेशन कर दिया। जुबेर कहते हैं कि आयुष्मान योजना से प्राइवेट अस्पताल में बेहतर इलाज के फेर में 4 लाख रुपए का कर्ज अलग हो गया।नोटिस जारी हुए तीन महीने, राशि नहीं मिली बायपास के दो महीने बाद हालत ठीक महसूस होने पर जुबेर ने आयुष्मान कार्यालय में इस मामले की शिकायत की। अधिकारियों ने पूरे कागजों की जांच की और पाया कि उनका आयुष्मान कार्ड बिल्कुल सही है। अधिकारियों ने ये भी कहा कि जिस सीएचएल अस्पताल में सर्जरी हुई वो आयुष्मान योजना में इमपेनल्ड है। आयुष्मान कार्ड होते हुए अस्पताल ने नकद पैसा लिया, वो गलत है।
जुबेर शिकायत देकर लौट आए। जब कुछ नहीं हुआ तो फिर अधिकारियों से संपर्क किया, तो उन्हें बताया गया कि अस्पताल को नोटिस जारी किया गया है, जल्द आपकी राशि वापस मिल जाएगी। इसके बाद भी पैसा वापस नहीं मिला, तो अधिकारियों ने कहा- अस्पताल प्रबंधन को नोटिस देखकर खुद उपस्थित होने के लिए कहा गया है।
अब तीन महीने बीत चुके हैं लेकिन न तो रुपए मिले न ही वसूली करने वाले अस्पताल पर कोई कार्रवाई हुई है।